बरेली में जन्मे क्षितिज अग्रवाल ने बहुत आर्थिक दुश्वारियां देखी हैं। जब क्षितिज महज 7वीं कक्षा में पढ़ते थे तो उनके पिता को कारोबार में घाटा हो गया था। उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह पढ़ाई भी जारी रख पाते। इसके बाद क्षितिज की मां कोचिंग में पढ़ाने लगीं तो क्षितिज भी बरेली की गलियों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे। उस दौरान कड़ी मेहनत के बाद भी वह महज एक हजार रुपये जुटा पाते थे, जिससे उनकी पढ़ाई का खर्च पूरा हो पाता था। इसी तरह उन्होंने 12वीं तक की शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने 2004 में श्रीराममूर्ति कॉलेज में बीटेक में दाखिला लिया। इसके लिए उन्होंने 3 लाख 50 हजार रुपये का लोन लिया। जिससे वह बीटेक कर पाए।
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अब स्कूल खुलने पर ऑफलाइन परीक्षा नहीं चाहते अभिभावक, जानिए वजह खुद कोचिंग सेंटर में पढ़ाकर पूरी की बीटेक की पढ़ाई क्षितिज बताते हैं कि बीटेक की पढ़ाई के साथ उन्हें लोन चुकाने के लिए दो कोचिंग सेंटर में पार्ट टाइम पढ़ाने का काम मिल गया। दोनों चीजों को मैनेज करने के लिए वह सुबह 6 बजे उठते थे। शाम 5 बजे तक वह कॉलेज में पढ़ाई करते और उसके बाद कोचिंग में पढ़ाकर राज 10 बजे तक घर लौट पाते थे। इस तरह उन्होंने लोन की किस्त चुकाते हुए बीटेक की पढ़ाई पूरी की। 2008 में बीटेक करने के बाद आइबीएम में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर उनकी 25 हजार रुपये की पुणे में नौकरी लग गई। जहां से उन्हें अमेरिका जाने का अवसर मिला। 2011 में उन्होंने कंपनी के लिए बड़ी डील करा दी। उस दौरान उन्हें लगा कि वह इस काम को अपने लिए कर सकते हैं। जैसे ही वह अमेरिका से लौटे ताे उन्होंने तय किया कि अब नौकरी नहीं करेंगे, बल्कि लोगों को नौकरी देंगे।
पहली डील में इतना पैसा मिला कि 5 साल की नौकरी में नहीं कमा पाते क्षितिज अग्रवाल ने बताया कि उस दौरान सेल्सफोर्स एक नई तकनीक थी। उन्होंने पुणे में रहने वाले अपने दो दोस्तों को सेल्सफोर्स के बारे में बताया, जिसके बाद उन्होंने टेकिला ग्लोबल सर्विसेज कंपनी की नींव रखी। क्षितिज ने बताया कि कंपनी को पहली डील भी अमेरिका से मिली। उन्होंने बताया कि इस डील में इतने पैसे मिले कि वह 5 साल की नौकरी में भी नहीं कमा सकते थे। इसके बाद पुणे में कंपनी का पहला ऑफिस खोला गया। उन्होंने बताया कि फिलहाल भारत और अमेरिका के करीब 300 लोग उनकी कंपनी में कार्य करते हैं।
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खत्म होने वाला है 5G सेवाओं का इंजतार, लखनऊ समेत इन शहरों के उपभोक्ताओं को मिलेगा सबसे पहले लाभ बरेली के युवाओं के लिए बनाया बड़ा प्रोजेक्ट क्षितिज ने बताया कि उन्होंने जिस अमेरिका में नौकरी की आज उसी देश के लोग उनके यहां नौकरी करते हैं। उनकी कंपनी के 8 प्रमुख पदों पर अमेरिकी युवा हैं। उन्होंने बताया कि अब उनका सपना बरेली के इंजीनियरों काे रोजगार देना है। इसके लिए उन्होंने एक बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया है, जिसमें 100 युवाओं को काम देने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बताया कि सेल्सफोर्स क्लाउड पर आधारित एक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट तकनीक है, जिसे कोई भी कंपनी कस्टमाइज कर सकती है।