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पाकिस्तान के छाछरो में 1971 में लगा था बाड़मेर पुलिस का थाना

7 दिसंबर 1971 का अदम्य साहस- थाना बंद किए आज 48 साल हुए पूर्ण - भारत ने बाड़मेर पुलिस का लगाया था थाना - पुलिस के जवान डिप्टी कमिश्रर पुलिस पाक की पट्टिका साथ लेकर आए - बाड़मेर पुलिस के संग्रहालय में सुरक्षित है पट्टिका  

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Barmer police news

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भवानीसिंह राठौड़@बाड़मेर.
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध बाड़मेर-जैसलमेर की जमीन पर लड़ा गया था। रेगिस्तान और रण के रास्ते से भारतीय सेना आगे बढ़ते हुए 7 दिसंबर को पाकिस्तान के छाछरो तक पहुंच गई और भारतीय सेना को आते देख पाकिस्तान की हाळा पुलिस थाना छोड़कर भाग गई थी, जहां बाड़मेर पुलिस थाना का कब्जा हुआ। 48 साल बाद आज भी इस गौरवपूर्ण याद को बाड़मेर पुलिस सहेजे हुए है।

पश्चिमी सीमा पर हुआ 1971 का युद्ध 3 से 16 दिसंबर तक चला। इस दौरान रेगिस्तान में कर्नल भवानीसिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना आगे बढ़ी और पाकिस्तान के अमरकोट होते हुए छाछरो पहुंच गई। यहां हाळा इलाके में सेना पहुंची तो पाकिस्तानी थाने की पुलिस भाग गई। इसके बाद यह थाना बाड़मेर पुलिस को दे दिया गया।

करीब छह माह तक इस थाने का संचालन बाड़मेर पुलिस ने किया। बाड़मेर पुलिस ने थाना भवन का उद्घाटन कर पट्टिका भी लगाई थी। बाद में भारत-पाक के बीच शिमला समझौता हुआ तो बाड़मेर पुलिस लौट आई लेकिन स्मृति के रूप में वहां के थारपारकर डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में लगी पट्टिका साथ लेकर आई। भारतीय सेना के विजय की गवाह यह पट्टिका आज भी बाड़मेर पुलिस के संग्रहालय में गौरव के साथ रखी हुई है।

- छह माह रहा था थाना
बाड़मेर का थाना छाछरो में छह माह संचालित हुआ था। बाखासर से एक रोडवेज की बस भी संचालित होती थी। शिमला समझौते के बाद यह थाना हटा दिया गया था। - रतनसिंह, ग्रामीण, बाखासर


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