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बड़वानी

एक एक्स-रे मशीन के भरोसे 300 बेड का अस्पताल

लगती लंबी कतार, गंभीर घायलों को भी एक्स-रे के लिए करना पड़ता घंटों इंतजार, दोपहर बाद सिर्फ इमरजेंसी एक्स-रे, मशीन खराब हुई तो निजी का सहारा, ट्रामा से आधा किमी दूर स्ट्रेचर पर लाना पड़ता एक्स-रे के लिए मरीज को

बड़वानीMar 15, 2019 / 08:16 am

मनीष अरोड़ा

300-bed hospital with an X-ray machine trust

300-bed hospital with an X-ray machine trust

ऑनलाइन खबर : विशाल यादव
बड़वानी. जिला अस्पताल बड़वानी यूं तो चार जिलों के मरीजों का भार झेल रहा है, लेकिन यहां व्यवस्थाएं सामूदायिक स्वास्थ्य केंद्र के समान ही नजर आ रही है। स्टाफ की कमी का खामियाजा एक्स-रे कराने आ रहे मरीजों को उठाना पड़ रहा है।300 बेड का जिला अस्पताल सिर्फ एक एक्स-रे मशीन के भरोसे है। हड्डी से संबंधित मरीजों को एक्स-रे के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। हालात ये है कि दोपहर बाद यहां सिर्फइमरजेंसी में ही एक्स-रे किया जाता है। यदि किसी कारण एक्स-रे मशीन खराब हुईतो फिर निजी एक्स-रे लेब का ही सहारा मरीजों के पास रह जाता है।
जिला अस्पताल के एक्स-रे लेब के बाहर रोजाना सुबह से दोपहर तक मरीजों की भारी भीड़ देखी जा सकती है। जिला अस्पताल में सिर्फएक ही एक्स-रे मशीन है, जिसके ऊपर जिला अस्पताल के मरीजों सहित ट्रामा सेंटर के मरीजों का भी भार है।एक ही मशीन होने से विभिन्न घटना, दुर्घटनाओं में घायल, हड्डी संबंधित मरीजों को एक्स-रे के लिए इंतजार करना पड़ता है।दिनभर में 150 मरीज रोजाना एक्स-रे के लिए पहुंचते है। इसमें से 70 से 80 मरीज जिला अस्पताल में भर्ती और 60 से 70 मरीज रूटिन वाले होते है। कईबार तो बारी नहीं आने पर मरीज को दूसरे दिन तक भी इंतजार करना होता है।
तीन के स्टाफ पर 24 घंटे की जिम्मेदारी
जिला अस्पताल की एक्स-रे लेब में मात्र तीन टेक्नेशियन का स्टाफ है।यहां सुबह 9 बजे से लेकर 3 बजे तक रूटिन एक्स-रे किया जाता है। 3 बजे बाद सिर्फइमरजेंसी केस के एक्स-रे ही यहां होते है। तीन लोगों के स्टाफ में सुबह 9 बजे से 3 बजे तक दो टेक्नेशियन काम करते है। इसके बाद इमरजेंसी में एक टेक्नेशियन घर से बुलाया जाता है। एक्स-रे टेक्नेशियन स्टाफ के ऊपर एक्स-रे कराने वालों की एंट्री से लेकर एक्स-रे करना, एक्स-रे निकालकर देने का काम भी होता है। इतना ही नहीं इसी स्टाफ के भरोसे ट्रामा सेंटर की सी-आर्ममशीन भी है।जिसे ऑपरेट करने भी एक्स-रे के स्टाफ को ही जाना होता है।
ट्रामा का भार भी जनरल एक्स-रे पर
बड़वानी जिला अस्पताल में साढ़े चार करोड़ की लागत से ट्रामा सेंटर की स्थापना तो हो गई, लेकिन यहां संसाधनों की कमी है। तीन साल पहले बने ट्रामा सेंटर में आज तक एक्स-रे यूनिट स्थापित नहीं हो पाई है। जबकि ट्रामा की सबसे पहली जरूरत ही एक्स-रे मशीन है। यहां भर्तीमरीजों को एक्स-रे के लिए करीब आधा किमी दूर एक्स-रे कक्ष तक स्ट्रेचर ले जाना पड़ता है। उबड़ खाबड़ रास्तों पर पहले से ही घायल मरीज का दर्ददोगुना हो जाता है। ट्रामा सेंटर में लंबे समय से एक्स-रे यूनिट स्थापित करने की मांग की जा रही है, लेकिन जिम्मेदारों द्वारा टेक्नेशियन का पद नहीं होने की बात कही जा रही है।
चार जिलों के मरीज आते जिला अस्पताल में
उल्लेखनीय है कि जिले में एक नेशनल हाईवे और एक स्टेट हाईवे निकल रहा है, जहां अकसर दुर्घटनाएं होती रहती है। इन दुर्घटनाओं में घायलों को जिला अस्पताल ही लाया जाता है। वहीं, बड़वानी जिला अस्पताल में धार, अलीराजपुर, खरगोन जिले के मरीज भी आते है। समीपवर्ती जिलों में सीमावर्ती क्षेत्रों में हुई दुर्घटनाओं में घायलों के लिए सबसे पास बड़वानी जिला अस्पताल ही पड़ता है। यहां आने के बाद घायलों की परेशानी ओर भी बढ़ जाती है।एक ही एक्स-रे मशीन होने से कईबार घायल मरीजों को एक्स-रे के लिए भी इंतजार कराया जाता है।
स्टाफ के कारण नहीं लग पा रही दूसरी मशीन
जिला अस्पताल में बेड के हिसाब से शासन के नियमानुसार स्टाफ की भर्ती होती है। जिला अस्पताल में एक मशीन के लिए तीन का स्टाफ है। दूसरी मशीन लगा भी ली जाए तो स्टाफ की भर्ती नहीं हो पाएगी। ऐसे में दूसरी मशीन का कोई औचित्य नहीं रहेगा। ट्रामा के लिए अभी कोई अलग से स्टाफ की नियुक्ति भी नहीं हुई है।
डॉ. अनिता सिंगारे, सिविल सर्जन

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