कानोता (Illegal mining). क्षेत्र में खुलेआम चल रहा अवैध खनन पर्यावरण के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। दिन-रात लगातार होते खनन से पहाड़ तो खोखले हो ही गए हैं, साथ ही इससे आसपास की हरियाली (
greenery) भी ‘हवा’ हो गई है। हालात ऐसे हैं कि उपखंड क्षेत्र में जहां-जहां पत्थरों का खनन (
Illegal mining) चल रहा है, वहां आसपास के गांव में हरे-भरे जंगल और वन भी साफ हो गए हैं। इससे पर्यावरण संतुलन गड़बड़ा रहा है। यही वजह है इन क्षेत्रों के किसान बारिश को तरस गए हैं। खनन के दौरान की जाने वाली ब्लास्टिंग (
Blasting) में पहाड़ों से धूल और रेत उड़ती है। ये रेत हवा में उड़कर शुद्ध वायु को दूषित करती है। इसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ रहा है। ऐसे में आसपास के ग्रामवासियों को सांस की तकलीफ हो रही है, क्योंकि रेत के कण श्वांस के जरिए शरीर के अंदर पहुंच जाते हैं। इससे नई-नई बीमारियां (
Fear of diseases) शरीर में घर बना रही हैं।
हरियाली का मिट रहा नामो-निशानजानकारी के अनुसार अरावली पर्वत शृंखला में चल रहे अवैध खनन (
Illegal mining) की वजह से प्रकृति को पेड़-पौधे व जल स्तर में काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में पहाडों पर लगे पेड़ पत्थरों के साथ ही निकल गए। इस पहाड़ों पर नजर आने वाली हरियाली (
greenery) मिट गई। जिम्मेदार अधिकारियों का इस गंभीर समस्या की ओर ध्यान नहीं है।
उड़ते मिट्टी के कण, बीमारियों की वजह
खनन वाली पहाडियों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि इन पहाडियों में रोजाना होने वाली ब्लास्टिंग (
Blasting) के बाद धूल के बारीक कण हवा में फैलते जाते हैं। मकान की दीवारों, पेड़ों पर मिट्टी जम जाती है। इससे पेड़-पौधे और आसपास लगी फसल बर्बाद हो रही है। साथ ही ये मिट्टी खाने-पीने के सामान पर भी जम जाती है। इससे गांव में कई लोगों की आंखों पर (
Fear of diseases) बुरा असर पड़ा है।
गिरता जा रहा है भूजल स्तर पहाड़ों से पत्थर तोडऩे के लिए बारूद भरकर ब्लास्टिंग (
Blasting) की जाती है। बारूद के धुएं से पर्यावरण दूषित हो रहा है। इसका असर भूजल स्तर पर पड़ रहा है। भूजल स्तर नीचे (
Groundwater level dropped) जा रहा है। बारिश के दौरान पहाड़ों से पानी बहकर खेतों तक पहुंचता था, वो पानी अब खान में ही सिमट कर रह जाता है। हरियाली नहीं होने से वन्यजीव भी लुप्त हो रहे है। जिन पहाडिय़ों में फिलहाल खनन (
Illegal mining) नहीं हो रहा, वो पहाड़ हरियाली से लदे हुए हैं।
टूटी सड़क, राहगीर परेशानइन अरावली पहाडियों के आसपास के दर्जनों गाव बसते हैं, जहां होकर रोजाना दर्जनों वाहन पत्थरों से लदे हुए गुजर रहे हैं। इससे इन गावों की सड़कें भी क्षतिग्रस्त (
Road damaged) हो रही है। इसका खामियाजा यहां से गुजरने वाले ग्रामीण राहगीरों को परेशानी उठाना पड़ रहा है। इनमें से कई सड़कं ग्रामीणों के आवागमन के लिए ग्राम पंचायत द्वारा लाखों रुपए खर्च करके बनाई गई हैं। वो अब क्षतिग्रस्त (
Road damaged) हो गई हैं।
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