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एक हजार बेटियों को सिखाएं आत्मरक्षा के गुर

चार साल से वेदांगी स्वयंसेविका संघ का संचालन कर रही है वंदना उपाध्याय, राष्ट्र रक्षा, धर्म रक्षा एवं आत्मरक्षा की मूल ध्येय को लेकर लाडो का बढ़ा रही आत्म विश्वास, लाठी चलाना, तलावार चलाने की भी देती है जानकारी

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एक हजार बेटियों को सिखाएं आत्मरक्षा के गुर

एक हजार बेटियों को सिखाएं आत्मरक्षा के गुर

ब्यावर. बेटियां सम्मान से आगे बढ़े, अकारण किसी दबाव में नहीं आए, उनका मनोबल मजबूत रहे। हर परिस्थिति का सामना करने का जज्बा उनके मन में रहे। इसी उदेश्य को लेकर बालिकाओं का आत्म विश्वास मजबूत करने की आवश्यकता है। अंधविश्वास खत्म कर वास्तविकता से बेटियों को जोडना है। ताकि अंधविश्वास के नाम पर गलत करने वालों के होसले पस्त हो सके। समाज में सबको समानता व सम्मान से जीने की राह प्रशस्त हो सके। पिछले चार साल से वेदांगी समूह का संचालन कर पहली कक्षा से लेकर कॉलेज तक अध्ययन करने वाली बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखा रही वंदना उपाध्याय का यहीं कहना है। उन्होंने बताया कि इन चार साल में करीब एक हजार बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखाएं। इसमें बालिकाओं को विषम परिस्थितियों का सामने करना एवं उनका आत्म विश्वास बढ़ाने को लेकर प्रशिक्षण दिया जाता है। इन एक हजार बालिकाओं में हर आय वर्ग की बालिकाओं ने नि:शुल्क प्रशिक्षण लिया है। लाठी व तलवार चलाने का भी प्रशिक्षणबालिकाओं का आत्मरक्षा के गुर सीखाएं जाते है। इसमें लाठी व तलवार चलाना भी सिखाया जाता है। इतन ही नहीं उन्होंने समाज को श्रेष्ठ व सशक्त बनाने के लिए मतदाता जागरुकता कार्यक्रम में भाग लिया। दूरदराज के गांवों मे शिविर लगाकर बेटियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाएं। गांवों में नुक्कड नाटक करके भी बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाते है। आत्मरक्षा के गुर सिखाने के साथ ही बालिकाओं को यह संदेश देती है कि उनके साथ किसी भी प्रकार की घटना होने पर चुपचाप सहन करने के बजाए परिवार के साथ शेयर करे। नवरात्रा में बालिकाएं गरबा भी तलवार से खेलती है। ताकि मनोबल मजबूत रहे। दीपावली पर सैनिक या शहीद के परिवार का बुलवाकर कार्यक्रम का आयोजन करते है। ताकि राष्ट्र रक्षा की भावना बलवती हो।