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ट्रैफिक पुलिस में पद तो 61, लेकिन मैदान में सिर्फ 22 जवान

बैतूल। जिले की यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है, वही कंधे आज संसाधनों और मानवबल की भारी कमी से जूझ रहे हैं। पुलिस के ट्रैफिक विभाग में कुल 61 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्षों से भर्ती नहीं होने की वजह से इनमें से 45 पद आज भी खाली पड़े हुए […]

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बैतूल। जिले की यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने की जिम्मेदारी जिन कंधों पर है, वही कंधे आज संसाधनों और मानवबल की भारी कमी से जूझ रहे हैं। पुलिस के ट्रैफिक विभाग में कुल 61 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्षों से भर्ती नहीं होने की वजह से इनमें से 45 पद आज भी खाली पड़े हुए हैं। वर्तमान में महज 22 ट्रैफिक कर्मी पूरे जिले की यातायात व्यवस्था संभालने को मजबूर हैं। यही कारण है कि शहर के चौक-चौराहों पर यातायात संचालन अक्सर भगवान भरोसे चलता नजर आता है।
आंकड़ों के अनुसार ट्रैफिक विभाग में स्वीकृत पदों की स्थिति काफी व्यापक है। विभाग में निरीक्षक का 1 पद, सूबेदार के 2 पद, उप निरीक्षक के 3 पद, सहायक उप निरीक्षक के 8 पद, प्रधान आरक्षक के 7 पद और आरक्षक के 40 पद स्वीकृत हैं। इस तरह कुल 61 पदों पर स्टाफ की आवश्यकता है, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। यदि मौजूदा पदस्थापना की बात करें तो निरीक्षक का पद पूरी तरह से खाली पड़ा है। सूबेदार और उप निरीक्षक के महज 1-1 पद ही भरे गए हैं। सहायक उप निरीक्षक के 8 में से केवल 5 पदों पर तैनाती है। सबसे गंभीर स्थिति आरक्षक वर्ग में देखने को मिलती है, जहां 40 स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ 7 आरक्षक ही कार्यरत हैं। इसके अलावा महिला आरक्षक के 2 पद और चालक का 1 पद मिलाकर कुल 22 कर्मी ही ट्रैफिक विभाग का पूरा भार संभाल रहे हैं। रिक्त पदों की संख्या 45 बताई जा रही है, जिनमें सबसे अधिक कमी आरक्षकों की है। अकेले आरक्षक के 32 पद खाली हैं। वहीं प्रधान आरक्षक के 3 पद, सहायक उप निरीक्षक के 4 पद और उप निरीक्षक के 2 पद वर्षों से रिक्त पड़े हुए हैं। यह आंकड़े साफ तौर पर दर्शाते हैं कि ट्रैफिक विभाग गंभीर स्टाफ संकट से गुजर रहा है। कुल मिलाकर, ट्रैफिक विभाग में स्वीकृत पदों और वास्तविक तैनाती के बीच का यह बड़ा अंतर प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जब तक रिक्त पदों पर भर्ती नहीं की जाती और मानवबल नहीं बढ़ाया जाता, तब तक जिले की यातायात व्यवस्था में सुधार की उम्मीद करना मुश्किल नजर आता है।
ट्रैफिककर्मियों की कमी का असर यातायात पर
ट्रैफिक कर्मियों की इस कमी का सीधा असर शहर की यातायात व्यवस्था पर पड़ रहा है। व्यस्त चौक-चौराहों, बाजार क्षेत्रों और स्कूल-कॉलेज समय में जाम की स्थिति आम हो चुकी है। दुर्घटनाओं की आशंका भी इसी कारण बढ़ रही है, क्योंकि निगरानी और नियंत्रण दोनों ही कमजोर पड़ रहे हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कई बार तो पूरे-पूरे चौराहों पर एक भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी मौजूद नहीं रहता। ऐसे में वाहन चालक अपनी मर्जी से नियम तोड़ते हैं, जिससे अव्यवस्था और खतरा दोनों बढ़ते हैं। त्योहारों, वीआईपी मूवमेंट और विशेष आयोजनों के दौरान स्थिति और भी बदतर हो जाती है।
इनका कहना

  • यातायात विभाग में 61 पद स्वीकृत हैं, लेकिन सालों से पूरे पद आज तक भरे ही नहीं गए। हमें आधे स्टॉफ से ही जिले में यातायात व्यवस्था का संचालन करना पड़ता है। इसलिए दिक्कतें आना स्वाभाविक है। फिर भी हमारा प्रयास रहता है कि यातायात व्यवस्था को बेहतर किया जाए।
  • गजेंद्र केन, यातायात प्रभारी बैतूल।