बिजली निगम (
power corporation ) के अधिकारियों ने ऊर्जा, जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी, भूजल, कला साहित्य, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के केबिनेट मंत्री बीडी कल्ला ( B D KALLA ) के सामने बताया कि जिले में शहरी इलाकों 24 घंटे, व्यावसायिक कनेक्शन वालों को 21-22 घंटे बिजली सप्लाई व किसानों के लिए छह घंटे बिजली सप्लाई दी जा रही है, जबकि हकीकत यह है कि लगभग प्रत्येक कस्बे में पांच से सात घंटे की बिजली कटौती की जा रही है।
आश्चर्य की बात यह रही कि जानकारी और दर्जनों शिकायत के बाद भी जिला प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने इस झूठ पर सवाल तक खड़ा नहीं किया। हालांकि खुद ऊर्जा मंत्री ने अधिकारियों को खूब आड़े हाथ लिया और लताड़ लगाई। बैठक में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने जिले में बिजली छीजत व चोरी को लेकर पूछा तो सामने आया कि वर्तमान में करीब 50 प्रतिशत बिजली छीजत हो रही है। कुछ माह के दौरान बिजली चोरी के खिलाफ कार्रवाई में कमी आ गई थी, लेकिन कुछ दिन में ही करीब एक करोड़ रुपए की वीसीआर भरी गई है। इस पर ऊर्जा मंत्री ने कहा कि मुझे पता भी है और मेरे पास जयपुर तक शिकायत (
power theft ) आ रही हैं कि विभाग के ही कुछ लोग उनसे मिले हुए हैं, जहां चार लाख रुपए का बिजली बिल आना चाहिए, वहां चार-चार हजार रुपए के बिल आ रहे हैं। खुद लोग मेरे पास शिकायत करते हैं कि एक-एक महीने तक ट्रांसफार्मर नहीं बदला जाता है। डिमांड नोटिस जारी करने के एक साल बाद तक कनेक्शन नहीं किया जाता है। ट्रांसफार्मर बदलने में मुश्किल से 10-15 घंटे से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए।
मंत्री ने शहर में बिजली कंपनी के खिलाफ आ रही शिकायत को लेकर कहा कि मैंने खुद बीकानेर और भरतपुर की समस्या को लेकर कंपनी के टोल फ्री नंबर (
bijli chori complaint online ) पर कॉल किया था, वहां कभी कोई नंबर देते हैं तो कभी कोई और। मुझे तो कोई रेस्पांस नहीं मिला। आम उपभोक्ता को क्या खाक लाभ मिलेगा। अलग से हेल्पडेस्ट बनाई जाए। कंपनी के खिलाफ आ रहे परिवादों को विजिलेंस कमेटी की बैठक में रखा जाए। उन्होंने विद्युत एवं जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे कन्टेन्जेंसी प्लान के तहत स्वीकृत बजट राशि का बेहतर उपयोग करें तथा तहसील वैर को चम्बल परियोजना के द्वितीय चरण में शामिल करने के निर्देश दिए।
उन्होंने चम्बल परियोजना की प्रगति की जानकारी लेते हुए संबंधित कम्पनियों की ओर से धीमी गति से कार्य करने पर नाराजगी जताते हुए पीएचईडी के अधिकारियों को तीनों कम्पनियों के प्रबंधकों से वार्ता कर कार्य को समय पर पूरा कराने के निर्देश दिए। उन्होंने ग्राम पंचायतों में एसएफसी की राशि से आरओ प्लांट के प्रस्ताव भिजवाने के निर्देश दिए। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सके। उन्होंने पुरामहत्व एवं ऐतिहासिक भवनों के संरक्षण एवं पुनर्निर्माण के साथ ही देखभाल के लिए चौकीदार की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक में विद्युत विभाग के एमडी एके गुप्ता, जिला कलक्टर डॉ. आरुषि अजेय मलिक आदि उपस्थित थे।
डिस्कॉम के अधिकारी-कर्मचारी रखते हैं फोन बंद
ऊर्जा मंत्री कल्ला ने कहा कि मैं जानता हूं कि भरतपुर जिले में उपभोक्ता के किसी समस्या को बताने पर भी घंटों तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खुद डिस्कॉम के अधिकारी-कर्मचारी फोन को स्विच ऑफ कर लेते हैं। कार्यालय का टेलिफोन नंबर ही अलग उठाकर रख दिया जाता है। बिजली कंपनी की शिकायत भी कम नहीं है। कोलकाता में अच्छा काम करने पर कंपनी को भरतपुर का कार्य सौंपा गया था। शिकायत सीधे मंत्री के पास आती हैं तो यह खुद आप सभी के लिए शर्मनाक है।