
शिक्षकों की कमी से जूझते सरकारी प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में नौनिहालों की पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही नहीं हो रही बल्कि नामांकन बढ़ाने की सरकारी मंशा को भी पलीता लग रहा है। जिले के 26 फीसदी प्राइमरी स्कूलों को एक-एक शिक्षक चला रहे हैं।
नामांकन बढ़े तो कैसे?
बच्चों की पढ़ाई के प्रति जागरूक अभिभावक अपने बच्चों को एकल शिक्षक वाले स्कूलों में भेजने को तैयार नहीं होते। अकेला शिक्षक किस तरह पांच कक्षाओं को पढ़ाता होगा, यह सोचनीय है। इसी कारण ऐसे स्कूलों में नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य तक पूरा नहीं हो पाता।
छात्रानुपात की अनदेखी
नियमानुसार 40 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण हालात ऐसे बन गए हैं कि सौ और डेढ़ सौ विद्यार्थी एक शिक्षक के हवाले हैं। इस तरह छात्रानुपात के नियम की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
और बढ़ेगी एकल शिक्षक स्कूलों की संख्या
हाल ही काउन्सलिंग के दौरान जिले के 18 1 शिक्षकों का पदस्थापन सैकण्डरी सैटअप में जाने के कारण अन्यत्र हो चुका है। इनमें भी कई स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ दो शिक्षक ही थे। इनमें से एक शिक्षक के नए पदास्थापन स्थल पर जाने से एकल शिक्षक स्कूलों की मौजूदा संख्या में और बढ़ोतरी हो जाएगी।
अन्य कामकाज का भार भी
ऐसा नहीं कि एकल शिक्षकों पर बच्चों की पढ़ाई की ही जिम्मेदारी है। बच्चों को मिड-डे-मील की व्यवस्था करने, नामांकन बढ़ाने, विभागीय डाक का निस्तारण करने से लेकर अन्य सरकारी कामकाज का अतिरिक्त भार भी इनके पास है।
एक नजर में
1147 कुल स्कूल
591 प्राइमरी स्कूल
154 स्कूलों में एकल शिक्षक
ब्लॉकवार एकल शिक्षक स्कूल
ब्लॉक प्राइमरी स्कूल
बयाना 27
पहाड़ी 29
नगर 36
डीग 08
नदबई 02
वैर 07
सेवर 05
रूपवास 23
कामां 10
कुम्हेर 00
भरतपुर शहर 07
-शिक्षकों का अभाव है। इस कारण जिले के अनेक स्कूलों को एक-एक शिक्षक से ही चलाना पड़ रहा है। शिक्षकों की नई भर्ती हो नहीं रही है। वहीं शिक्षकों के सैकण्डरी सैटअप में आने से व्यवस्था और ज्यादा बिगड़ी है।
-सुनील गुप्ता, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक शिक्षा, भरतपुर
Published on:
20 Jul 2017 11:38 am
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