इससे पूर्व स्कूलों की लाइब्रेरियों में पुस्तकों को श्रेणीवार कर अलमारी में उपलब्ध पुस्तकों को रैकवार स्पष्ट नाम अंकित करने, इस दिन से विद्यार्थियों को पुस्तकों का नियमित रूप से वितरण करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा लाइब्रेरी दिवस के दिन पुस्तकों के पढ़ने से होने वाले लाभों के बारे में मोटिवेशनल स्पीच का आयोजन करने को भी कहा गया है। इस अवसर पर मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों तथा अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक (समग्र शिक्षा) को अपने जिले में आयोजित कार्यक्रम के तीन फोटो ग्रुप में शेयर करने को भी कहा है।
सरकारी स्कूलों में नहीं लाइब्रेरियन –
सरकार ने हर वर्ष 2 दिसंबर को लाइब्रेरी दिवस मनाने के निर्देश तो जारी कर दिए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि जिन स्कूलों में लाइब्रेरियां हैं, उनमें से कई में लाइब्रेरियन के पद ही स्वीकृत नहीं हैं। जिनमें पद स्वीकृत हैं, उनमें भी लाइब्रेरियन के पद रिक्त चल रहे हैं। जिन स्कूलों में पुस्तकालय हैं, उनमें लाइब्रेरियन नहीं होने से किसी अन्य शिक्षक को इनका चार्ज दिया हुआ है। ऐसे स्कूलों की लाइब्रेरियों में पुस्तकों पर धूल जम रही है। कारण यह है कि जिन शिक्षकों के पास चार्ज है, उन्हें पुस्तकों को रखने, उन्हे वितरित कर उनका रिकॉर्ड रखने, पुस्तकों के निस्तारण करने का प्रशिक्षण नहीं मिला है।
शिक्षक संगठनों की मांग –
शिक्षक संगठनों का कहना है कि लाइब्रेरियों को आबाद करने के लिए पहले यह जरूरी है कि स्कूलों की लाइब्रेरियों में पुस्तकालय अध्यक्ष लगाए जाएं और फिर पूर्व की तरह सप्ताह में एक दिन हर कक्षा के विद्यार्थी के लिए कक्षावार लाइब्रेरी का कालांश निर्धारित किया जाए, ताकि विद्यार्थियों में पुस्तकों को पढ़ने के प्रति रुचि बढ़े। वर्तमान में स्थिति यह है कि कई स्कूलों में तो लाइब्रेरी के लिए कक्ष ही उपलब्ध नहीं हैं, तो कई स्कूलों में लाइब्रेरियन नहीं हैं।
डीग. शहर के किशनलाल जोशी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की लाइब्रेरी में बिना लाइब्रेरियन के अव्यवस्थित रखी पुस्तकें, जिले में ऐसे कई स्कूल हैं जहां सालों से लाइब्रेरियन नहीं है।