
पुनीत उपाध्याय
कोई संदेह नहीं कि यदि शहर में बारिश तेज आ जाए तो बाढ़ भी आ जाए। क्योंकि ऐसे हालात नगर निगम की अर्कमण्यता से बने हुए हैं।
पूरे शहर में छोटे, मझले और बड़े नालों सहित सीएफसीडी में जलीय घास, ठोस कचरा, मिट्टी का ठोस मलबा जमा पड़ा है। अगर पानी आया तो रास्ता बनाएगा कहां, इसका जवाब निगम को देते नहीं बन रहा। मानसून पर है। कभी भी बारिश हो सकती है लेकिन इससे पहले इन नालों, निकासियों की सफाई अब तक हो जानी थी।
नगर निगम का नालों की सफाई का दावा हवाई साबित हो रहा है। छोटे-बड़े नाले कचरे व गंदे पानी से अटे पड़े हैं। हाल ही प्रभारी मंत्री कालीचरण सराफ द्वारा ली गई बैठक में निगम ने सभी नालों की सफाई कर देने का दावा किया लेकिन जमीनी हकीकत जनता खुद देख रही है।
रामनगर दो मोरा : नहीं कोई हल
शहर में जल निकासी तंत्र के महत्वपूर्ण भाग रामनगर दो मोरा की सफाई हुए वर्षों हो चुके। निगम ने कुछ वर्ष पहले इसे मशीन से साफ कराने का प्रयास किया लेकिन नाले की गहराई ज्यादा होने से मशीन से इसकी दीवार टूट गईं। निगम को इन दीवारों की मरम्मत पर लाखों रुपए खर्च करने पड़ गए।
इसकी सफाई फिर भी नहीं हो सकी। रामनगर दो मोरा अजान बांध से निकलने वाला साफ पानी का चैनल है। इसे अभी तक विधिवत तरीके से नाले का दर्जा ही नहीं मिल सका। कोर्ट में भी वाद चल रहा है। इन हालातों के बीच निगम ने इस नाले में हाथ डालना ही बंद कर दिया।
अनाह गेट-सीएफसीडी : अनाह गेट बजरिया में पत्थर की टाल से शुरू होने वाला यह नाला कोली बस्ती होते हुए सीएफसीडी में जाकर मिलता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि नाला सफाई के नाम पर औपचारिकता होती है। नाला ढंका हुआ है और उसके चैम्बर्स में सफाईकर्मी उतरकर सफाई करते थे। अब जेसीबी का पंजा जहां तक पहुंचता है, वहीं तक कुछ सफाई हो पाती है।
रोजाना घरों से निकलने वाले कूड़े को इसी नाले में फेंक दिया जाता है। इस तरह यह नाला वर्षभर गंदगी से अटा ही पड़ा रहता है। इसके जाम रहने से अनाह गेट बजरिया, पत्थर की टाल, कोतवाली, गुदड़ी मोहल्ला, कोडियान मोहल्ला आदि क्षेत्र में पानी भर जाता है। नाले की सही ढंग से सफाई नहीं होने के कारण बारिश के दौरान कई स्थानों पर जलभराव की समस्या खड़ी हो जाती है।
बड़ा मोहल्ला-चांदपोल गेट नाला
नदिया मोहल्ला, कोतवाली, बड़ा मोहल्ला आदि क्षेत्रों के पानी की निकासी के लिए वार्ड नम्बर 28 से रियासतकालीन नाला है। इसकी गहराई काफी है। पूरी सफाई हुए वर्षों हो गए। इसके चैम्बर्स की ही सफाई हो पाती है। ऐसे में नाला जाम हो गया। इस कारण कारण बासन गेट व नमक कटरा क्षेत्र में एक माह में दो बार जलभराव की समस्या हो चुकी है। ऐसा ही आलम खिरनीघाट स्थित अग्रवाल धर्मशाला से पीछे स्थित नाले का है। यह नाला तीन-चार स्थानों से ब्लॉक है।
बीनारायण गेट नाला : गंगा मंदिर, बुध की हाट क्षेत्र के नालों की हालत भी ऐसी है। नालियों ंगंदगी से अटी पड़ी हैं। पॉलिथीन की थैलियां सहित अन्य कचरा नालों-नालियों में तैरता रहता है। बुध की हाट स्थित पुराना गंगा मंदिर से बीनायण गेट तक जाने वाले नाले-नालियां भी गंदगी से भरे पड़े रहते हैं और थोड़ी देर बारिश से यहां पानी भर जाता है।
अटलबंध सिरकी वाले हनुमान मंदिर से
बीनायण गेट नाला : यह नाला रियासतकालीन है लेकिन इससे पानी की सही निकासी नहीं हो पाती। नाला कई स्थानों से जाम है। थोड़ी सी बारिश होने के बाद ही सड़क पर पानी भर जाता है।
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