मानमंदिर गहवरवन बरसाना के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने एडीएम प्रशासन को बताया कि नवंबर 2009 में विश्वभर के कृष्णभक्तों की भावनाओं को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने कामां व डीग तहसील में पड़ रहे ब्रज के पर्वतों को संरक्षित वन क्षेत्र घोषित कर दिया। तब स्थानीय प्रशासन की जानकारी के अभाव के कारण उक्त ब्रज क्षेत्र में शामिल महत्वपूर्ण पर्वत कनकांचल व आदिब्रदी का कुछ हिस्सा वन क्षेत्र घोषित होने से वंचित रह गया। नगर तहसील के गांव नांगल, बुआपुरगढ़ी, कोरली, बेगपहाड़ी, रसूलपुर, ककराला आदि में पड़ रहे आदिब्रदी पर्वत के छूटे हुए हिस्से व तहसील पहाड़ी में पड़ रहे कनकांचल पर्वत के छूटे हुए टुकड़े ब्रज क्षेत्र का अभिन्न अंग हैं। इनको वन क्षेत्र घोषित कराने की मांग सालों से की जा रही है, लेकिन प्रशासनिक व संबंधित विभाग के अधिकारी इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
संत बोले: डर के कारण कलक्टर ने बोला झूठ साधु-संतों ने बताया कि जब वह कलक्ट्रेट पहुंचे तो जिला कलक्टर डॉ. आरुषि अजेय मलिक चैंबर में ही बैठी हुई थीं। लेकिन उन्होंने कोर्ट में व्यस्त होने का संदेश भिजवाया और एडीएम प्रशासन से वार्ता करने को कहा। जबकि जिला कलक्टर को ही खुद इस प्रकरण में वार्ता करनी चाहिए थी, वह सवालों के जबाव देने से कतराने के कारण उनसे नहीं मिलीं। जब इस मामले को एडीएम प्रशासन से पूछा तो उन्होंने बताया कि जिला कलक्टर कोर्ट में ही थीं। हमने साधु-संतों को संबंधित ब्रज क्षेत्र के पर्वतों ( Illegal mining in bharatpur ) को वन क्षेत्र घोषित करने की अनुशंषा करने व थाने में दर्ज प्रकरणों में कार्रवाई कराने का आश्वासन दिया है।