
सीएसवीटीयू ने कहा, टीचर्स की ऑनलाइन ट्रेनिंग शुरू है, लॉकडाउन का फायदा उठाकर लीजिए सर्टिफिकेट
भिलाई@Patrika. छत्तीसगढ़ के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों (Engineering colleges)ने अपने टीचिंग व नॉन टीचिंग स्टाफ की छटनी शुरू कर दी है। बीते 15 दिनों अभी तक दो दर्जन से ज्यादा प्रोफेसरों को नौकरी से निकालने की खबर मिल रही है। छत्तीसगढ़ प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज इम्पलॉई यूनियन ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) को इस बारे में शिकायत दी है साथ में टर्मिनेशन से जुड़े कुछ साक्ष्य भी उपलब्ध कराए हैं। बड़े पैमाने पर छटनी करने वालों में भिलाई और रायपुर के दो-दो कॉलेजों का नाम सबसे आगे आ रहा है। कोरोना संक्रमण की वजह से कॉलेज बंद है, जिससे कॉलेजों को पूर्व व वर्तमान सेमेस्टर की फीस जैसे कई मद नहीं मिल पाए। (CSVTU) इसका इफेक्ट कम करने के लिए कॉलेजों ने अपने स्टाफ को ही रास्ते लगाना शुरू कर दिया।
लिखवा लिया रिजाइन लेटर
यूनियन के अध्यक्ष डॉ. बीएल महाराणा ने बताया, चार संस्थाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने स्टाफ को परेशान करते हुए उनसे रिजाइन लेटर जबरन लिखवाएं हैं। इसके बाद से ही एसोसिएशन ने तमाम कॉलेजों को प्रोफेसरों के लिए सर्कुलर जारी कर दिया है कि किसी भी तरह से रिजाइन लेटर पर हस्ताक्षर नहीं करें। दरअसल, रायपुर के एक कॉलेज में करीब 12 साल तक सर्विस करने वाले प्रोफेसर को नौकरी से निकालने क बाद यह मामला जमकर गरमा गया।
नॉन-टीचिंग स्टाफ को वेतन नहीं
प्रदेश के करीब दो दर्जन इंजीनियरिंग कॉलेजों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में 15 से 50 फीसदी तक की कटौती कर दी है। भिलाई दुर्ग के दो कॉलेजों ने नॉन टीचिंग स्टाफ, जिनमें बस ड्राइवर, सफाई के कर्मचारी व लिपिक कार्य में जुटे कर्मचारियों को फिलहाल वेतन ना दे पाने की बात जाहिर कर दी है। उनसे कहा गया है कि जब कॉलेज दोबारा चालू होगा, तब उनकी सेवाएं ली जाएगी, लेकिन तब तक के लिए कॉलेज उनको वेतन नहीं दे पाएगा।
दो दिन पहले जारी हुआ सर्कुलर
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद को लगातार मिल रही इन्हीं शिकायतों के बाद एक सर्कुलर जारी किया गया। एआईसीटीई द्वारा कहा गया कि कोई भी कॉलेज अपने कर्मचारी का वेतन नहीं काटें, साथ ही जो प्रोफेसर घरों से पढ़ा रहे हैं, उनको भी पूरा वेतन मिलेगा। यह सर्कुलर कॉलेजों तक भी पहुंचा है, लेकिन कॉलेज संचालकों ने इसकी अनदेखी कर दी। तकनीकी विवि सीएसवीटीयू में इस मामले की शिकायत हुई है। इसमें रजिस्ट्रार डॉ. केके वर्मा ने कहा है कि ऐसे कॉलेज तो वेतन नहीं दे रहे उनको मानतवा दिखानी चाहिए। विवि ने कहा है कि उक्त प्रोफेसर व अन्य स्टाफ श्रम मंत्रालय में मामले की शिकायत कर सकते हैं।
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Published on:
17 May 2020 12:55 am
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