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जानिए…. कैसे काम करेगी आरवीएम ईवीएम की तरह ही आरवीएम में भी इंटरनेट नहीं होगा। वोटिंग की प्रक्रिया चार स्टेप में पूरी होगी। इसके लिए राज्यों में बूथ बना दिए जाएंगे। बूथ पर पीठासीन अधिकारी वोटर की आईडी वेरीफाई करने के बाद उसके मतदाता परिचय पत्र को स्कैन करेंगे। इसके बाद पब्लिक डिस्प्ले यूनिट यानी एक बड़ी स्क्रीन पर वोटर की उस कॉन्सीट्यूंसी का नाम दिखाई देने लगेगा। वोटर अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट करेगा और कॉन्सीट्यूंसी नंबर, राज्य कोड और कैंडिडेट नंबर के साथ वोट दर्ज हो जाएगा।
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प्रोटोटाइप का काम पूरा प्रोफेसर मूना ने बताया कि आरवीएम का प्रोटोटाइप तैयार कर लिया गया है। इसपर आगे की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है। हाल ही में देश की तमाम राष्ट्रीय पार्टियों को आरवीएम का डेमो दिया गया है। हालांकि राजनीतिक दलों ने इसमें फिलहाल रुचि नहीं दिखाई। वहीं अपने स्तर पर कई सारे बिंदु सुझाए। आरवीएम को लेकर उनसे एक तरह का फीडबैक भी लिया गया है। संबंधित विभाग आरवीएम को और भी अधिक प्रभावी बनाने में जुटे हुए हैं। हार्डवेयर से लेकर प्रोग्रामिंग तक सबकुछ देश में ही तैयार हो रहा है।
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आखिर, क्यों है जरूरत 2011 की जनगणना के मुताबिक देश में लगभग 45 करोड़ से अधिक लोग प्रवासी थे। इन्होंने अलग-अलग कारणों की वजह से अपना घर छोड़ा। इसमें अधिकतर महिलाएं थीं। जो शादी के बाद दूसरे शहर या राज्यों में बस गईं। 2019 के लोकसभा चुनाव में 67.4 फीसदी वोटिंग हुई थी। चुनाव आयोग के मुताबिक 30 करोड़ मतदाता ऐसे थे, जिन्होंने वोट नहीं दिया। और इसकी सबसे बड़ी वजह प्रवासी ही थे। यदि भविष्य में आरवीएम को मंजूरी मिलती है तो इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ाने और प्रवासियों को मतदान से जोडऩे में बड़ी मदद मिलेगी।