23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

विलुप्त हो रही औषधीय संपदा को बचाएंगे किसान, आरजिया में दो दिवसीय प्रशिक्षण

- राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड की पहल - 85 किसानों को सिखाई जाएगी औषधीय पौधों की वैज्ञानिक खेती

less than 1 minute read
Google source verification
Farmers will save the endangered medicinal wealth

Farmers will save the endangered medicinal wealth

भीलवाड़ा के बारानी कृषि अनुसंधान केन्द्रआरजिया में मंगलवार से औषधीय पौधों की खेती और उनके संरक्षण को लेकर दो दिवसीय विशेष कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आगाज हुआ। राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड जयपुर की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत भगवान धनवंतरि के पूजन के साथ हुई। प्रशिक्षण के पहले दिन जिले की छह पंचायत समितियों के करीब 85 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।

विलुप्त होती संपदा को बचाने का आह्वान

केन्द्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. ललित छाता ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान की विलुप्त होती औषधीय संपदा का कृषिकरण और संवर्धन आज के समय की बड़ी जरूरत है। उन्होंने किसानों को औषधीय पौधों की खेती के नए आयामों से अवगत कराते हुए इसे आय बढ़ाने का बेहतरीन जरिया बताया।

वैज्ञानिक खेती और मूल्य संवर्धन पर जोर

बोर्ड के नोडल अधिकारी डॉ. जेएस बेनीवाल ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए औषधीय पौधों की वैज्ञानिक खेती और मूल्य संवर्धन पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह किसान अपनी उपज का प्रसंस्करण कर अधिक लाभ कमा सकते हैं। आयुर्वेद विभाग के उप निदेशक डॉ. महाराज सिंह ने आयुर्वेद औषधि निर्माण में गुग्गल, अश्वगंधा, सफेद मूसली, कालमेघ और शंखपुष्पी जैसे पौधों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

जैविक खेती और समस्याओं का समाधान

सेवानिवृत्त शिक्षा अधिकारी राधेश्याम शर्मा ने किसानों को रासायनिक खेती के बजाय जैविक खेती अपनाने के गुर सिखाए। वहीं, कृषि अधिकारी गोविन्द गुर्जर ने खेती के दौरान आने वाली व्यावहारिक समस्याओं और उनके निराकरण के तरीके बताए। डॉ. लोकेश कुमार शर्मा ने औषधीय पौधों के संरक्षण एवं संग्रहण की तकनीकी जानकारी साझा की। संचालन डॉ. मुकेश वैष्णव, डॉ. शीला छीपा और डॉ. उगता मीणा ने किया।