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निजी फाइनेंस कंपनियां ले रही 10 से 24 प्रतिशत ब्याज

गांवों में गरीबों का झांसे में लेकर पास करते हैं लोन हजारों ग्राहकों को नहीं मिल रहा आरबीआई का फायदा

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Private finance companies are charging 10 to 24 percent interest

Private finance companies are charging 10 to 24 percent interest

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार तीन बार रेपो रेट में कटौती कर दी है। इससे आम उपभोक्ताओं और गृह निर्माण करने वालों को राहत मिलने की उम्मीद थी। लेकिन हकीकत यह है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों ने तो ब्याज दरों में कमी कर दी, लेकिन निजी फाइनेंस कंपनियां अब भी पुरानी दरों पर ही लोन दे रही हैं। इससे हजारों ग्राहकों को कोई फायदा नहीं मिल पा रहा। वहीं निजी फाइनेंस कम्पनियां 10 से 24 प्रतिशत की दर से ब्याज वसूल कर रही हैं। इसके चलते गरीबों के घर-बार तक बिकने की नौबत हा रही है। कई निजी बैंक तो एक किश्त चूकने मात्र से ग्राहक के खाते से हजारों रुपए की कटौती कर लेते हैं।

आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार रेपो रेट में कटौती के बाद निजी वित्तीय संस्थानों को भी इसका लाभ आम उपभोक्ताओं तक पहुंचाना चाहिए, लेकिन निजी फाइनेंस कंपनियों की ओर से इसका खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। होम लोन लेने वाले ग्राहकों का कहना है कि जब वे ब्याज दरों में छूट की जानकारी लेने शाखा पहुंचते हैं तो उन्हें स्थानीय शाखा प्रबंधक से संपर्क करने की बात कहकर टाल दिया जाता है। ऐसी ही स्थिति भीलवाड़ा में सामने आ रही है। ग्राहकों का आरोप है कि निजी कंपनियां रेपो रेट में कटौती का लाभ देने में आनाकानी कर रही हैं।

ग्रामीणों को झांसे में लेकर करवाते हस्ताक्षर

निजी फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी गांव-गांव में जाते हैं और ग्रामीणों से मिलकर उनकी आवश्यकता के आधार पर लोन करवाते हैं। यहां तक की स्टाफ व अन्य खानीपूर्ति भी स्वयं करते हैं। कागजों पर हस्ताक्षर करवा कर फिर उनसे अधिक ब्याज वसूल करते हैं। ऐसी निजी फाइनेंस कंपनियों के खिलाफ आरबीआई भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है।

प्रभावी निगरानी तंत्र की जरूरत

बैंक के अधिकारियों का कहना है कि निजी फाइनेंस कंपनियों पर प्रभावी निगरानी तंत्र की जरूरत है, ताकि आरबीआई की गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित हो सके। आम उपभोक्ता पहले ही महंगाई और बढ़ती लागत के दबाव में हैं, ऐसे में उनसे मनमानी ब्याज दर तक वसूल करते हैं। इस मामले में आरबीआई को स्वयं संज्ञान लेकर कड़े निर्देश जारी करने चाहिए, ताकि उपभोक्ताओं को उनका अधिकार मिल सके।

ब्याज दर कम नहीं करने पर करें शिकायत

ब्याज दर कम नहीं करने की शिकायत की जा सकती है। शिकायत करते समय सभी संबंधित दस्तावेज, लोन एग्रीमेंट, ब्याज दर की कॉपी और शाखा से हुई बातचीत का रिकॉर्ड संलग्न करें। यदि शिकायत पर 30 दिन में समाधान नहीं होता तो आप आरबीआई के बैंकिंग लोकपाल के पास लिखित शिकायत दर्ज कर सकते हैं। यदि फिर भी राहत नहीं मिलती तो जिला उपभोक्ता फोरम में मामला दायर कर सकते हैं।