
धर्मगुरू राष्ट्र का विभाजन नहीं होने देंगे- आचार्य श्यामशरण
शाहपुरा (भीलवाड़ा)।
संप्रदाय के जन्मदाता महाप्रभु स्वामी रामचरणजी महाराज के सात दिवसीय प्राकट्य त्रिशताब्दी समारोह के पहले दिन रामनिवास धाम परिसर में चारों धर्माचार्य की धर्मसभा हुई। सभा की अध्यक्षता रामदयाल महाराज ने की। इस दौरान निम्बार्काचार्य श्याम शरण देवाचार्य, श्रीधराचार्य, पुरूषोतम दास मौजूद रहे। धर्मसभा को संबोधित करते हुए श्यामशरण देवाचार्य ने कहा कि गुरुओं महापुरुषों का स्मरण व उनकी वाणी का सुमिरन परम पुण्यदायक होते हैं। उन्होंने राममंदिर के जन्म स्थान के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए तथा सीएए को लेकर देश में चल रही विध्वंसकारी घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र को हानि पहुंचाने वालों से विचलित होने की जरूरत नहीं है। राष्ट्रद्रोही केवल देश का विभाजन चाहते है जो धर्मगुरू नहीं होने देंगें।
उन्होंने राष्ट्र की छवि को धुमिल करने वालों को दंडित करने पर जोर देते हुए राम मंदिर के समर्थन में सभा में जयघोष भी कराया।
रामदयाल महाराज ने कहा कि महापुरूषों की वाणी ने जो कुछ दिया है उसी से मुक्ति संभव है। उन्होंने सदगुरू के सानिध्य पर जोर देते हुए कहा कि धर्म से जुडेगें तभी पुण्य मिलेगा। धराचार्य महाराज ने कहा कि महाप्रभु रामचरण ने 300 वर्ष पूर्व भी सवा छत्तीस हजार वाणियों का सृजन कर मानव कल्याण का संदेश दिया। उनकी वाणी को आत्मसात करते हुए साधक को परम लक्ष्य की प्राप्ति होगी। नाम संकीर्तन से पाप नष्ट होगें। समारोह में वरिष्ठ संत रामप्रसाद बडौदा, संत रामनिवास टोंक, संत सांचाराम पुष्कर, संत आनंदराम ने भी प्रवचन दिए।
धर्माचार्यो ने महाप्रभु स्वामी रामचरण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का आगाज किया। संत रामस्वरूप शास्त्री की पुस्तक भारतीय संस्कृति एवं शाहपुरा रामस्नेही संत के अलावा बृजेंद्र कुमार सिंघल द्वारा संपादित व लिखित पुस्तकों, रामस्नेही संदेश के विशेषांक सहित कई पुस्तकों का विमोचन किया गया। फोटोग्राफर सूर्यप्रकाश आर्य के रामनिवास धाम पर तैयार किए गए वर्ष के कलेंडर का विमोचन किया गया।
Published on:
03 Feb 2020 01:39 am
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