28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अरावली को ‘बचाने’ हजारों लोग उतरे सड़क पर

- करेड़ा में जाट के नेतृत्व में चार किमी पदयात्रा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताया आक्रोश

less than 1 minute read
Google source verification
Thousands of people took to the streets to 'save' the Aravallis.

Thousands of people took to the streets to 'save' the Aravallis.

सुप्रीम कोर्ट की ओर से सौ मीटर से कम ऊंचाई वाली पहाड़ियों को अरावली की श्रेणी से बाहर रखने के निर्णय के विरोध में रविवार को करेड़ा क्षेत्र में जनाक्रोश देखने को मिला। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर कांग्रेस देहात जिलाध्यक्ष रामलाल जाट के नेतृत्व में हजारों महिला-पुरुषों ने अरावली की पहाड़ियों में चार किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकालकर फैसले के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। पदयात्रा की शुरुआत सुरास गांव से हुई, जो अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित शक्तिपीठ बैमाता मंदिर पर संपन्न हुई। यात्रा के दौरान राजस्थानी परिधान में सजी महिलाओं ने मंगल गीत गाते हुए नाचते-गाते फैसले के खिलाफ स्वर बुलंद किए। पूरे मार्ग में “अरावली बचाओ” के नारों से वातावरण गूंजता रहा।

‘कुदरत की धरोहर को बेच रही सरकार’

इस मौके पर जाट ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कुदरत की बनाई अरावली की पहाड़ियों को भारत सरकार बेचने का काम कर रही है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में स्वत: संज्ञान लेकर पीआइएल दर्ज करने की मांग की। जाट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से कोर्ट में पेश किए गए तथ्यों के आधार पर ही यह फैसला आया है। इसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतने पड़ेंगे।

700 किमी लंबी है अरावली

जाट ने बताया कि अरावली पर्वतमाला की शुरुआत गुजरात से होकर दिल्ली तक लगभग 700 किलोमीटर लंबी है। इसका सबसे बड़ा हिस्सा राजस्थान में करीब साढ़े चार सौ किलोमीटर तक फैला हुआ है। कई स्थानों पर इसकी चौड़ाई 10 किलोमीटर तक है, जो पर्यावरण संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। पदयात्रा में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी रही। उन्होंने राजस्थानी लोकस्वर में गीत गाकर फैसले के खिलाफ विरोध जताया और कहा कि वनस्पति और अरावली को बचाने की लड़ाई में महिलाएं भी पीछे नहीं हैं।