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बहरोड़ उपखंड अधिकारी और रीडर रिश्वत के मामले में 29 पन्नों की कॉल हिस्ट्री और व्हाट्सएप चैट से होंगे खुलासे

इस रिकॉर्ड से कई नए खुलासे होने के साथ ही अब अन्य मामलों के राज भी खुलने की संभावना है। एसीबी के पास परिवादी और आरोपी से रिश्वत के मोलभाव करने की भी रिकॉर्डिंग है।

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एसीबी की गिरफ्त में रीडर ललित यादव बीच में (फोटो: पत्रिका)

बहरोड़ क्षेत्र में भू परिवर्तन मामले में छह दिन पूर्व 70 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए एसडीएम रामकिशोर मीणा के रीडर ललित यादव के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने रीडर और एसडीएम के बीच व्हाट्सऐप चैट और कॉल हिस्ट्री का 29 पन्नों का विस्तृत रिकॉर्ड बरामद किया है।

इस रिकॉर्ड से कई नए खुलासे होने के साथ ही अब अन्य मामलों के राज भी खुलने की संभावना है। एसीबी के पास परिवादी और आरोपी से रिश्वत के मोलभाव करने की भी रिकॉर्डिंग है।

व्हाट्सऐप चैट बनी अहम सबूत

एसीबी की ओर से दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, आरोपी ललित यादव के मोबाइल की जांच से एसडीएम रामकिशोर मीणा के साथ की गई व्हाट्सऐप कॉल और चैट के स्क्रीनशॉट मिले हैं। रीडर का मोबाइल जब्त कर आगे की जांच के लिए भेज दिया गया है। जांच में सामने आया है कि एसडीएम और रीडर सामान्य कॉल के बजाय व्हाट्सऐप के माध्यम से ही संपर्क करते थे। मोबाइल से मिले इन सबूतों से अब अन्य भ्रष्टाचार के अन्य मामलों का भी खुलासा होने की उम्मीद है।

रिकॉर्ड में हेरफेर की कोशिश

एफआईआर में यह भी बताया गया है कि जब एसीबी टीम जब कार्रवाई कर रही थी, तब उन्हें सूचना मिली कि उपखंड अधिकारी कार्यालय, बहरोड़ के संबंधित संदिग्ध अधिकारियों की ओर से मामले से जुड़ी पत्रावली में कांट-छांट, रिकॉर्ड परिवर्तन और बैकडेट में दस्तावेजों को डिस्पैच करने का काम किया जा रहा है।

व्हाट्सऐप चैट से खुलेंगे कई राज, जांच तेज

मामले की जांच फाइल उनके नाम हुई और अब विस्तृत जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एसीबी ने रीडर और एसडीएम के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) अधिनियम 2018 की धारा 7, 12 और भारतीय न्याय संहिता की धारा 61 (2) के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

-पुष्पेंद्र सिंह राठौड़, जांच अधिकारी एवं एएसपी एसीबी जयपुर

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संदिग्ध गतिविधियों का खुलासा

जांच में यह भी सामने आया है कि रिकॉर्ड में कांट-छांट कर उसे पुरानी तारीख में डिस्पैच किया गया था और कार्रवाई के दिन की तारीख में प्राप्ति रसीद ली गई थी। इसके बाद आने वाले डिस्पैच क्रमांक भी आज से पूर्व की तारीखों में प्राप्ति रसीद के साथ प्राप्त हुए हैं। इसके अतिरिक्त, उपस्थिति पंजिका में संपरिवर्तन आदेश निरस्त करने की तारीख 20 मई को संबंधित उपखंड अधिकारी की कार्यालय में उपस्थिति नहीं थी, जो इस पूरे मामले को और भी संदिग्ध बनाता है।

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