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उद्योग लगाने की औपचारिकता, मिलीभगत से मिल रही पीएमटी

बिजली की खपत शून्य, कैसे हो रहा उत्पादन विभागीय अफसर दलालों से कर रहे मिलीभगत, तथ्य अधूरे कागज पूरे लक्ष्य उत्पादन को बढ़ाना नही प्रॉपर्टी कारोबार करना

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धर्मेंद्र दीक्षित

भिवाड़ी. रीको की नई पॉलिसी आने की सुगबुगाहट होने लगी है। जिससे कि रीको के भूखंड पर सिर्फ उद्योग लगाकर उत्पादन ही उद्देश्य बन सके। अभी तक रीको के नियमों को पूरा करने के बाद प्रॉपर्टी डीलर यहां जमीन खरीदने-बेचने का खेल कर रहे हैं। इसमें रीको के अधिकारियों की भी मिलीभगत है। नियम कुछ समय के लिए पूरे होते हैं और मौके पर मिली कुछ कमियों पर भी आंखें बद कर ली जाती हैं। हर कमी की कीमत अदा होती है। पत्रिका की पड़ताल में कुछ ऐसी ही खामियां मिली हैं जिसमें रीको से जारी हुई पीएमटी सिर्फ एक कागज का टुकड़ा बनकर रह गई है। ऐसी फैक्ट्रियों में बिजली के कनेक्शन भी एक तय अवधि के लिए लिए जाते हैं। रीको से पीएमटी होने के बाद उन्हें तुरंट विच्छेद करा दिया जाता है। इसी तरह जीएसटी का पंजीयन भी कुछ अवधि के लिए होता है, जिसमें जीएसटी की राशि भी नाम मात्र की जमा होती है। इस तरह स्पष्ट होता है कि मौके पर जाने वाले रीको अधिकारी भी सिर्फ नियम पूरा कराने पर जोर देते हैं। असल स्थिति क्या है उस पर गौर नहीं करते। दोनों पक्षों की मिलीभगत से उद्योग क्षेत्र में औद्योगिक भूखंड वस्तु उत्पादन की जगह प्रॉपर्टी बाजार का हिस्सा बन गए हैं।

पीएमटी जरूरी

रीको से भूखंड खरीदने के बाद उद्यमी को तीन साल में पीएमटी करानी होती है। जिसमें उद्यमी यह बताता है कि वह उद्योग के लिए खरीदे गए भूखंड पर उक्त वस्तु का उत्पादन कर रहा है। उद्यमी के पीएमटी नहीं कराने पर रीको औद्योगिक का आवंटन निरस्त कर अपना कब्जा कर सकती है। इसलिए इस नियम को पूरा करना उद्यमियों के लिए जरूरी होता है।

बिल सिर्फ औपचारिकता

पीएमटी के लिए भूखंड पर 20 फीसदी निर्माण, जीएसटी पंजीयन, मशीन खरीद के बिल, कच्चा माल, पक्का माल के बिल और बिजली कनेक्शन चाहिए होता है। ये सब दस्तावेज भी एक ही संस्था फर्म के नाम से होने चाहिए। इन जरूरतों को पूरा करने में ही मिलीभगत चलती है। रीको अधिकारी सिर्फ बिजली बिल देखते हैं, उत्पादन के लिए बिजली खर्च हुई या नहीं इसको जानबूझकर नजरअंदाज करते हैं। इसी तरह उन्हें जीएसटी बिल एवं कच्चे-पक्के माल के भी सिर्फ बिल देखने से मतलब होता है। फाइल पूरी करने के बाद पीएमटी दे देते हैं।

मिलकर चल रहे पैंतरे

प्रॉपर्टी डीलरों की चाल रहती है कि बिजली के कनेक्शन भी 10 से 20 एचपी तक लेते हैं। जबकि कई भूखंड का आकार एकड़ में होता है। वहां इतने छोटे कनेक्शन का कोई औचित्य नहीं होता। वहीं जीएसटी को लेकर भी संदेह बना हुआ है। अधिकांश मामलों में जीएसटी पंजीयन पुराना है, जबकि पीएमटी के लिए उसका उपयोग बाद में किया गया है।

पीएमटी को लेकर अगर कोई शिकायत है तो उसकी जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।
आदित्य शर्मा, यूनिट हेड, रीको