
भिवाड़ी. सरकार बदलते ही योजनाओं की प्राथमिकता बदल जाती है। उद्योग लगाने के लिए गत सरकार ने 2022 में इंवेस्ट समिट की थी। इंवेस्ट समिट में जो एमओयू हुए, उनके धरातल पर निवेश लाने के लिए अब कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। इंवेस्ट समिट की प्रगति की समीक्षा करने के लिए भी अब बैठक नहीं हो रही हैं।
निवर्तमान सरकार ने इंवेस्ट समिट की, इसके बाद वर्तमान सरकार राइजिंग राजस्थान समिट कर चुकी है। इस तरह सरकार बदलते ही समिट की प्राथमिकता भी बदली है। अब पहली समिट की अपेक्षा दूसरी समिट को सफल बनाने पर अधिक जोर है। पत्रिका ने पड़ताल की और जानने का प्रयास किया कि अप्रेल 2022 में हुई समिट में हुए एमओयू की क्या स्थिति है। औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी, नीमराना, घिलोठ, बहरोड़ में अप्रेल 2022 में 263 मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) और लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) हुए थे। इन समझौतों से क्षेत्र में 13885 करोड़ का निवेश और 52324 रोजगार का सृजन होना था। तीन साल सात महीने बाद बाद पत्रिका ने पड़ताल की तो निवेश की असल स्थिति सामने आई। प्रदेश सरकार और जिला इकाइयों द्वारा निवेश को बढ़ावा देने के लिए जयपुर, अलवर, दिल्ली, हैदराबाद, बंगलुरू सहित अन्य शहरों में रोड शो और इंवेस्ट समिट आयोजित की गई थीं। इस दौरान एमओयू करने वाली 15 कंपनियों ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इन कंपनयिों की ओर से 835 करोड़ का निवेश कर 5168 कामगारों को रोजगार दिया जाना था। वहीं पांच कंपनियों के प्रस्ताव को विभागीय स्तर पर अनुमति नहीं दी गई है, पांच इकाइयों द्वारा 750 करोड़ का निवेश कर 1470 रोजगार देने थे। इंवेस्ट समिट की सफलता को देखें तो अभी तक 105 इकाइयों ने 4720 करोड़ का निवेश कर 13778 रोजगार दिए हैं। जबकि 88 इकाई जिनका निवेश 3899 करोड़ है, उनमें निर्माण कार्य चल रहे हैं। इन इकाई द्वारा 18594 रोजगार दिए जाएंगे। वहीं एक एमओयू का मामला विभागीय स्तर पर लंबित हैं इसमें 4.30 करोड़ का निवेश और 60 रोजगार प्रस्तावित हैं। वहीं 49 एमओयू के मामले निवेशकों के स्तर पर अभी तक लंबित हैं, इनसे 3675 करोड़ का निवेश और 13254 रोजगार मिलने हैं। इस तरह इंवेस्ट समिट की प्रगति थमी हुई दिखाई देती है। गत एक वर्ष के आंकड़ों में बदलाव नजर नहीं आता है।
Published on:
22 Nov 2025 07:18 pm
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