कैंसर के इन मरीजों में 56 बच्चों का इलाज अभी भी जारी है, जबकि केंसर प्रभावित 15 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। राजधानी के एम्स अस्पताल में यह जानकारी देते हुए विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि बच्चों में कैंसर के मामले आखिरकार बढ़ क्यों रहे हैं? एक्सपर्ट के अनुसार फिलहाल इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं है।
एम्स के पीडियाट्रिक आंकोलोजिस्ट डॉ. नरेन्द्र चौधरी ने बताया कि ये राहत की बात है कि कि कैंसर से जूझ रहे बच्चों के जीवित बचने के मामलों में पिछले 30 वर्षों में सुधार हुआ है। अब 70 से ८० प्रतिशत मामले इलाज के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं। हमें समय रहते सतर्क रहना होगा।
लगातार बढ़ रहे मामले
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक कुछ दशकों में बच्चों में कैंसर के मामले पांच अंक तक बढ़े हैं। रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2012 से लेकर 2019 के बीच कैंसर के कुल मामलों में से 7.9 प्रतिशत कैंसर के मामले 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाए गए हैं। 1990 के दशक में यह 4 प्रतिशत से भी कम थे।
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बच्चों में ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) का खतरा सबसे ज्यादा होता है। विशेषज्ञों ने बताया कि कुल ल्यूकेमिया के मामलों में लडक़ों में 46.4 प्रतिशत और लड़कियों में 44.3 प्रतिशत होता है। इसी तरह १६.४ प्रतिशत मामले लिम्फोमा के होते हैं। इसके साथ ही बच्चों में बे्रन ट्यूमर, न्यूरो ब्लास्टोमा, विम्स ट्यूमर और सॉफ्ट टिश्यु सारकोमा के मामले सबसे ज्यादा पाए जाते हैं।
पीलापन और चकत्ते, चोट के निशान या मुंह या नाक से खून आना, हड्डियों में दर्द
किसी खास हिस्से में अचानक दर्द से बच्चा रात में जाग जाए
बच्चा अचानक चल न सके या या वजन उठाने में परेशानी हो
पीठ दर्द का ध्यान रखें
टीबी से संबंधित ऐसी गांठें जो इलाज के छह हफ्ते बाद भी बेअसर रहें
दो हफ्ते से ज्यादा समय से सिर दर्द, सुबह-सुबह बच्चे को उल्टी होना
अचानक चर्बी चढऩा पेट, सिर, गर्दन और हाथ-पैर पर।