भारतीय नर्सिंग परिषद के अनुसार देश में लगभग 35.14 लाख पंजीकृत नर्सिंग कार्मिक हैं। वर्ष 2000 में इनकी संख्या 12.22 लाख थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर वर्ष 2030 तक 90 लाख अतिरिक्त नर्स और दाइयों की जरूरत होगी। अकेले भारत में ही वर्ष 2024 तक लगभग 42 लाख नर्सिंग कार्मिक की जरूरत होगी।
ये उपाय किए जा रहे
नर्सिंग शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए छात्र और रोगी बीच 1.5 के अनुपात को कम कर 1.3 किया गया है।
एमएससी नर्सिंग के लिए शिक्षक-छात्र अनुपात 1.5 से बढ़ाकर 1.10 किया गया।
स्कूल से अस्पताल की दूरी 15 किमी से घटाकर 30 किमी की गई। हालांकि, पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए अधिकतम दूरी 50 किलोमीटर है।
नर्सिंग स्कूल या कॉलेज भवन के लिए जमीन की छूट। अब तीन एकड़ की जगह 54 हजार वर्गफीट की जरूरत।
बीते साल 1.96 था अनुपात
विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि प्रति 1000 की आबादी पर 2.5 नर्स होनी चाहिए। सरकार का दावा है कि देश में प्रति 1000 जनसंख्या पर नर्सों का अनुपात 2.06 है। बीते साल अप्रेल तक यह अनुपात 1.96 था। ऐसे में नर्सिंग कार्मिक की कमी पूरी करने कई उपाय किए जा रहे हैं।
देशभर में :
एएनएम (सहायक नर्स प्रसाविका) 982708,
आरएन एवं आरएम (पंजीकृत नर्स एवं पंजीकृत प्रसाविका) 2471222,
एलएचवी (महिला स्वास्थ्य विजिटर्स) 57122 हैं।
स्रोत: लोकसभा, राज्यसभा, इंडियन नर्सिंग काउंसिल, डब्ल्यूएचओ, पीआइबी, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्स, नर्सिंग नाउ