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कोरोना के बाद बच्चे बने मानव दुर्व्यापार करने वाले अपराधियों का सॉफ्ट टारगेट- पद्मश्री सुनीता कृष्णन

पद्मश्री सुनीता कृष्णन यौन तस्करी की शिकार महिलाओं- लड़कियों के बचाव और उनके पुनर्वास पर काम करती हैं। सुनती ने विदेशों से भी कई बेटियों को रेस्क्यू कराया है। अभी तक 22 हजार से ज्यादा महिला और बच्चियों को यौन तस्करी से मुक्त करवा चुकी हैं।

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महज 12 वर्ष की उम्र से समाजसेवा करने वाली पद्मश्री सुनीता कृष्णन यौन तस्करी की शिकार महिलाओं- लड़कियों के बचाव और उनके पुनर्वास पर काम करती हैं। सुनती ने विदेशों से भी कई बेटियों को रेस्क्यू कराया है। अभी तक 22 हजार से ज्यादा महिला और बच्चियों को यौन तस्करी से मुक्त करवा चुकी हैं। अब सुनीता मानव तस्करी में कैसे तकनीक को हथियार बनाया जा रहा है इस पर गहनता से रिसर्च कर रही हैं। लिहाजा इसी मुद्दे पर उन्होंने पत्रिका से खास बातचीत की। पढ़िए उनसे बातचीत के प्रमुख अंश..

सवाल- मानव दुर्व्यापार के मामले में अब अपराधी तकनीक को कैसे हथियार बना रहे हैं।

जवाब- मानव तस्करी और मानव दुर्व्यापार दोनों में अंतर है। मानव दुर्व्यापार में इंसान का शोषण किया जाता है। बंधुआ मजदूर की तरह अलग- अलग जगहों में उन्हें बेंचा जाता है। और उनसे तरह- तरह के काम लिए जाते हैं। ये सदियों से चला आ रहा है। और ये हमारे देश नहीं बल्कि 132 देशों की समस्या है जिसमें अमेरिका जैसे विकसित देश भी शामिल है। बस अब तकनीक की वजह से इसका एक अलग लेवल तैयार हो गया है। जो पहले चल रहा था उसमें कोई कमी नहीं आई है। लेकिन तकनीक की वजह से इस लेवल का एक और लेवल बन गया है, जो बेहत खतरनाक है। क्योंकि इंटरनेट हर उस आदमी को बराबर लाकर खड़ा कर दिया है जिसके हाथ में मोबाइल है।

सवाल- सोशल मीडिया पर अपराधी किस प्रकार के लोगों को टॉरगेट करते हैं।

जवाब- सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म पर अपराधियों ने अपना जाल बिछा रखा है। वो जाल फेसबुक, इंस्टा, ट्विटर, टेलीग्राम सहित हर जगह है जहां लोग मौजूद हैं। खासतौर पर उन महिलाओ को टॉरगेट किया जाता है। जो सोशल मीडिया में खुद को अकेला बताती हैं। उनकी फोटो को लाइक और कमेंट करने से बात शुरू होती है जो बाद में अलग रूप ले लेती है। दरअसल अपराधी बाद में इतनी ग्रुमिंग कर देते हैं उसे सही- गलत का अहसास ही नहीं होता है। हमने सैकड़ों ऐसे मामलों में लड़कियों को रेस्क्यू करवाया है। लेकिन बाद में भी वो अपराधी को गलत मानने को तैयार नहीं होती थी।

सवाल- कोरोना के बाद क्या मानव दुर्व्यापार का ग्राफ बढ़ा है।

जवाब- देखिए पहले बच्चे इन अपराधियों के सीधे टारगेट में नहीं थे लेकिन जब से हर बच्चे के हाथ में मोबाइल पहुंचा है। तब से ये इन अपराधियों से सीधे टारगेट में आ गए हैं। और इनमें सबसे ज्यादा रोल है गेमिंग एप का। इस एप के जरिए बच्चे लोन के जाल में इतना फंस जाते हैं कि वो डर से मां- बाप को नहीं बता पाते। नतीजतन अपराधियों डराकर उनसे मनमाफिक काम करवाते हैं। 10 साल के बच्चे कर्जा लेकर गेम खेल रहे हैं। बाद में फिर यही अपराधी उनसे इनका न्यूड वीडियो मांगते हैं।

सवाल- क्या इसपर कोई अंतरराष्ट्रीय गैंग काम कर रहा है।

जवाब- ऐसा बिल्कुल है। लेकिन उन्होंने हमारे देश के कोने- कोने में अपना पैर पसार रखा है। उनका लोकल स्तर पर काफी तगड़ा नेटवर्क हो चुका है। बस ये बात अलग है कि उनके आका विदेश से बैठकर सबकुछ चला रहे है।

सवाल- क्या इससे जुड़े कानून में भी बदलाव की जरूरत है।

जवाब- जी, बिल्कुल जरूरत है। सोशल मीडिया से जुड़े कायदे बनाने होंगे। क्योंकि इसमें बहुत खामियां हैं। ज्यादतर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म तो अपनी मनमर्जी से संचालित हो रहे हैं। इनपर कोई कंट्रोल ही नहीं है। इसलिए तकनीक और मानव दुर्व्यापार को साथ- साथ देखने वाले कानून की अब सख्त जरूरत है।