
राखी स्पेशल: ये हैं रक्षाबंधन के 5 सुपरहिट फिल्मी पारंपरिक गाने
भोपाल। रक्षा बन्धन का त्यौहार श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष ये त्यौहार 26 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें भाईयों की कलाई पर राखी बांधेंगी।
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहनों के बीच प्रेम का बंधन माना जाता है। 26 अगस्त को बहनें भाईयों की कलाई पर राखी बांधेंगी। हिंदी फ़िल्मों में रक्षाबंधन को लेकर भावुक और प्यारे गीत फ़िल्माए गए हैं। इन गीतों से रक्षाबंधन के पर्व की तैयारी और अधिक मनमोहक व सुहावनी हो जाती है।
राखी से जुड़े कुछ खास गीत...
फिल्में हमारे समाज का ही आइना होती हैं जो हमारे जीवन से जुड़े हर पहलू को पर्दे पर आकार देती है। फिल्मों में शुरूआत से ही प्यार-मोहब्बत, होली-दीपावली से लेकर हर धर्म और त्यौहारों को महत्व दिया गया है और उनसे जुड़े फिल्मी गाने, इन त्यौहारों की पहचान बन कर उभरे।
रक्षाबंधन को लेकर भी बॉलीवुड में कुछ गाने बेहद लोकप्रिय हैं, जो आम दिनों में भी सुने जाएं तो राखी की याद दिलाते हैं। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ पारंपरिक गानों के बारे में जिन्हें आप एक क्लिक कर सुन भी सकते हैं -
1. बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है...
1974 में रिलीज़ हुई फ़िल्म 'रेशम की डोरी' में भाई धर्मेंद्र की कलाई में राखी बांधते बहन ने यह बेहतरीन नग़मा गाया है। शैलेंद्र की कलम से निकले इस गीत को शंकर-जयकिशन ने अपने संगीत से सजाया और सुमन कल्याणपुर ने अपनी आवाज़ देकर इस गीत को अमर बना दिया। गीत में धर्मेंद्र बहन के साथ बहुत भावुक नज़र आ रहे हैं।
इसमें कुछ पंक्तियां तो बेहद भावुक अंदाज में रक्षाबंधन पर्व के महत्व को समझाती हैं। बहन अपने भाई से कहती है कि रेशम की एक डोर से पूरे संसार को बांध दिया है। इस गाने में बहन भाई से कहती है कि परिस्थितयां भले ही उन्हें दूर कर दे लेकिन मन से वे कभी दूर नहीं हो सकते।
बहन अपने भैया की तुलना करते हुए कहती है कि उसके जैसा इस संसार में दूसरा कोई नहीं है। यह हैं राखी के इस सदाबहार गाने के बोल...
बहना ने भाई की कलाई से
बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है
प्यार के दो तार से, संसार बांधा है
रेशम की डोरी से...
रेशम की डोरी से संसार बांधा है
सुंदरता में जो कन्हैया है
ममता में यशोदा मैया है
वो और नहीं दूजा कोई
वो तो मेरा राजा भैया है
बहना ने भाई...
मेरा फूल है तू, तल्वार है तू
मेरी लाज का पहरेदार है तू
मैं अकेली कहां इस दुनिया में
मेरा सारा संसार है तू
बहना ने भाई...
हमें दूर भले किस्मत कर दे
अपने मन से न जुदा करना
सावन के पावन दिन भैया
बहना को याद किया करना
बहना ने भाई...
2. भैया मेरे, राखी के बंधन को निभाना, भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना, देखो ये वादा निभाना, निभाना ....
छोटी बहन और बड़े भैया के बीच का मिठास से भरा प्यारा रिश्ता इस गाने में हर कोई महसूस कर सकता है। छोटी बहन की यूं तो कई फरमाइशें लगी रहती है, लेकिन भैया से राखी के बंधन को निभाने की यह मनुहार सुनकर हर किसी को प्यार आ ही जाता है।
3. मेरे भैया, मेरे चंदा, मेरे अनमोल रतन.... तेरे बदले मैं जमाने की कोई चीज न लूं ...
भाई के प्रति प्यार, दुलार के भावों से भरा यह गाना जब भी कानों में गूंजता है, भाई के प्रति बहन के अनन्य और समर्पित प्रेम भाव से दिल मधुरता से भर जाता है। अगर भाई बहनों में कोई अनबन हो जाए, तो यह गाना भाई की काफी मदद कर सकता है, बहन को चिढ़ाने में ... और बहन की मदद कर सकता है, प्यारे भैया को मनाने में।
सच ही है, बहन के प्रेम के बगैर तो राखी को कोई मोल ही नहीं। बहन राखी की डोर के रूप में भैया की कलाई पर अपना ढेर सार प्यार और शुभकामनाएं ही तो बांधती है, और बहन का प्यार ही तो भाई का संसार होता है।
4. हम बहनों के लिए मेरे भैया, आता है इक दिन साल में ...
आज के दिन मैं जहां भी रहूं, चले आना वहां हर हाल में
पराई होती बहन की मासूम की गुजारिश, किसका मन नहीं पिघलाती होगी भला। बहनों के लिए साल में एक दिन आने वाले इस पर्व पर हर साल, हर हाल में भाई को उपस्थित रहने की भावों से भरी यह अरज, शायद भाई की आंखे नम करने के लिए काफी हैं।
5. फूलों का तारों का, सबका कहना है... एक हजारों में मेरी बहना है.. सारी उमर हमें संग रहना है ...
हरे रामा, हरे कृष्णा फिल्म का यह प्यारा गाना किसे याद नहीं होगा। बहन को सबसे खास बताने वाले भाव से भरे इस गाने को सुनने के बाद, हर भाई को अपनी प्यारी बहन पर प्यार आ जाता है।
नाजों से पली लाड़ली के प्रति मन के भावों को जाहिर करता यह गाना, आज भी भाई बहनों की पहली पसंद बना हुआ है।
रक्षाबंधन त्यौर से जुड़ी कुछ खास बातें, जो जानना है जरूरी...
रक्षा बंधन 2018 : 26 अगस्त
रक्षाबंधन अनुष्ठान का समय- 05:59 से 17:25
अपराह्न मुहूर्त- 13:39 से 16:12
पूर्णिमा तिथि आरंभ –15:16 (25 अगस्त)
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 17:25 (26 अगस्त)
भद्रा समाप्त: सूर्योदय से पहले
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार अपराह्न का समय रक्षा बन्धन के लिये अधिक उपयुक्त माना जाता है जो कि Hindu समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय है। यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षा बन्धन के संस्कार के लिये उपयुक्त माना जाता है।
वहीं भद्रा का समय रक्षा बन्धन के लिए निषिद्ध माना जाता है। Hindu मान्यताओं के अनुसार सभी शुभ कार्यों के लिए भद्रा का त्याग किया जाना चाहिए। सभी Hindu ग्रन्थ और पुराण, विशेषतः व्रतराज, भद्रा समाप्त होने के पश्चात रक्षा बन्धन विधि करने की सलाह देते हैं।
भद्रा पूर्णिमा तिथि के पूर्व-अर्ध भाग में व्याप्त रहती है। अतः भद्रा समाप्त होने के बाद ही रक्षा बन्धन किया जाना चाहिए। वहीं कुछ लोगो यह भी मान्यता है कि प्रातःकाल में, भद्रा मुख को त्याग कर, भद्रा पूंछ के दौरान रक्षा बन्धन किया जा सकता है।
Updated on:
18 Jul 2018 01:15 pm
Published on:
18 Jul 2018 12:40 pm
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