पुलिस नहीं लिख रही थी रिपोर्ट
पीड़ित परिजनों का कहना है कि सुबह की घटना के बाद परिवार के लोग बच्चों को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे। पुलिस को इसके बारे में पूरी जानकारी दी। लेकिन बड़ी मुश्किल से पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। राजेंद्र ने कहा कि टीआई पहले बच्चों द्वारा झूठ बोले जाने की बात कर रहे थे। वहीं, सोमवार को पुलिस ने कोर्ट में बच्चों का बयान दर्ज कराया है।
दोनों बच्चों ने बताया कि सुबह करीब साढ़े ग्यारह से बारह बजे के बीच जब दोनों घर पर थे, तभी अचानक दो महिलाएं ऑरेंज कलर की साड़ी पहने घर पर आईं और आटा मांगने लगीं थीं। और उन्होंने फिर दोनों का हाथ पकड़ा और घसीटकर ले जाने लगी। इसी बीच कशिश ने एक लकड़ी से आरोपी को मारी जो उसकी मुंह पर जा लगी। दूसरे बच्चे ने पत्थर उठाकर मारा तो वह भी आरोपी के सिर में लगा। इसके बाद वह दौड़कर भाग निकले।
इसके पूर्व भी किल्लाई गांव, दमोह और बटियागढ़ में भी मामले सामने आए हैं। जिसमें अफवाह होने की बात कही गई। हालांकि मामलों में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच की, लेकिन आरोपी नहीं मिला। इसके अलावे मध्यप्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी इस तरह की खबरें आई हैं।
अफवाहों से रहें सतर्क
पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह ने कहा कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में केवल अफवाहों का बाजार चल रहा है। जिसमें लोग सोशल मीडिया के माध्यम से फर्जी तरीके से अफवाह फैलाते देखे जा रहे हैं। जिसमें अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने लोगों को अफवाहों से बचने की सलाह दी है।
आईबी ने अपने अलर्ट में कहा है कि फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर बच्चा चोरी को लेकर फर्जी पोस्ट प्रसारित हो रहे हैं। जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमान राज्य में आकर बच्चों को अगवा कर रहे हैं। ऐसी अफवाहों से मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ रही हैं और निर्दोष लोग पीटे जा रहे हैं। ऐसी चीजों को लेकर जागरूकता फैलाया जाए, साथ ही समय-समय पर अफवाहों का खंडन करें।
वहीं, अगर आपको किसी पर शक होता है तो आप तुरंत पुलिस को सूचित करें। किसी भी अनजान शख्स के पास अपने बच्चे को नहीं जानें दें। बच्चों को समझाए कि वह बाहर निकले तो अनजान व्यक्ति से न बात करे और न ही उनका दिया कुछ ले। साथ ही बच्चों को अकेले न छोड़ें। अफवाहों पर ज्यादा ध्यान न दें। सोशल मीडिया पोस्ट पर यकीन न करें।