MUST READ: शादी बाबा नाम से फेमस है बीजेपी का यह दिग्गज
सादगी के लिए ख्यात गोपाल भार्गव जब बस स्टैंड पर अपने साथियों के साथ बैठे थे, तभी वहां से नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह का काफिला गुजर रहा था। जयवर्धन सिंह ने देखा कि नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव बस स्टैंड पर बैठे नजर आ रहे हैं, तो उन्होंने अपना काफिला तुरंत रुकवाया और उनके पास पहुंच गए। जयवर्धन भी अपने विरोधियों और बड़ों का आदर और विनम्र स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने भार्गव के चरण छूकर आशीर्वाद लिया। दोनों साथ बैठे और ढेर सारी बातें कीं। गोपाल भार्गव ने भी बस स्टैंड पर बने नगर निगम भवन की काफी सराहना की। इस दौरान काफी देर तक ठहाके भी लगते रहे। यह नजारा देख बस स्टैंड पर काफी लोग एकत्र हो गए थे, वे दोनों नेताओं को कैमरे में कैद करने लगे और सेल्फी लेने लगे। दोनों ही दिग्गजों की यह सहज, विन्रम मुलाकात काफी चर्चित हो रही है।
MUST READ: मंत्री की सादगीः ढाबे पर खाया दाल तड़का, लोगों की समस्याएं भी सुनीं
फिर दिखी भार्गव की सादगी
गोपाल भार्गव एक बार फिर अपने अलग अंदाज में नजर आए। वे शुक्रवार देर रात को शहर की आबोहवा का लुत्फ लेने बस स्टैंड पहुंच गए। वे पहले भी कई बार ढाबों पर या शहर की प्रसिद्ध दुकानों पर स्ट्रीट फूड का लुत्फ लेने पहुंच जाते हैं। कुछ समय पहले पुराने भोपाल स्थित एक होटल पर खाना खाने पहुंच गए। उस समय वे शिवराज सरकार के मंत्री थे। उन्होंने सहजता के साथ कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। वहीं खाना खाते समय उनकी समस्याएं भी सुनीं। यह वाकया देर रात का था, जब भार्गव पुराने भोपाल स्थित नादरा बस स्टैंड पहुंचे थे। बताया जाता है कि जब भी मंत्रीजी का मूड दाल तड़का खाने का हो जाता है वे यह सादा खाना खाने चले आते हैं।
बेटे की शादी भी हुई थी सादगी से
दो साल पहले गोपाल भार्गव के बेटे की शादी सादगी की मिसाल बन गई थी। उन्होंने अपने बेटे की शादी सामूहिक विवाह कार्यक्रम में ही की थी। प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव सामाजिक समरसता के उद्देश्य से बेटी डॉ. अवंतिका और बेटे अभिषेक का विवाह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत सागर में हुआ था। किसी मंत्री द्वारा पद पर रहते हुए सादगी से विवाह कराने का यह अहम फैसला था। यह शादी सागर के किसान स्टेडियम में 22 अप्रैल 2015 को हुई थी। इस सामूहिक विवाह सम्मेलन में 1100 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे थे। इस विवाह की खास बात यह भी है कि इसमें प्रीति भोज की व्यवस्था बुफे में नहीं करके पंगत में की गई थी।