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एक्सपर्ट्स ने जताई चिंता
खास तौर पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल समेत इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर आदि शहरों में जलवायु संकट तेजी से बढ़ रहा है रहा है। इस समस्या के चलते शहरों में प्रदूषण स्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। मौसम में तेजी से बदलाव भी नजर आ रहे हैं। जानकार कहते हैं कि, यही कारण है कि, इन दिनों हम औसत से कम या ज्यादा हर सीजन का प्रभाव देख रहे हैं। भोपाल के भूगोल विशेषज्ञ डॉ. चिंतामणि परमार का कहना है कि, ये सिर्फ मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे विरे विश्व के लिये गंभीर समस्या बन चुका है। विश्व पृथ्वी दिवस बीते 50 सालों इसे लेकर चेतावनी देता आ रहा है। अगर इस समस्या पर अब भी गौर नहीं किया गया, तो आगामी कुछ ही सालों में हमें कई भयावय बदलाव देखने को मिल सकते हैं। उन्होंने कहा कि, ‘हालांकि अभी इसपर रिसर्च चल रही है, लेकिन कोरोना वायरस के मामले में भी कोई भरोसा नहीं कि, वो भी इस वैश्विक जल वायु संकट का ही परिणाम हो!’
क्यों मनाया जाता है ये खास दिन
पृथ्वी दिवस को हर साल जलवायु परिवर्तन संकट के प्रति लोगों में जागरूकता बढञाने के लिये मनाया जाता है। ये दिन प्रदूषण, वनों की कटाई जैसी समस्याओं को जोड़ने और उन पर चर्चा के लिए लोगों को साथ खड़े होने का मौका देता है। ओजोन लेयर में क्षति होने के कारण जलवायु में तेजी से बदलाव आ रहा है। इंसान पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों से दूर होता जा रहा है। यही कारण है कि, विश्व पृथ्वी दिवस का आयोजन करके लोगों का ध्यान इस और आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। इस विशेष दिन को दुनियाभर के 195 देश मनाते हैं।
विश्व पृथ्वी दिवस का इतिहास
पहली बार विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का ख्याल अमरीका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन को आया था। 22 अप्रैल 1970 में पहली बार उन्होंने ही विश्व पृथ्वी दिवस मनाया था। इसके बाद धीरे-धीरे इस दिन को मनाने के लिये कई देश आगे आए। नेल्सन का उद्देश्य था कि, इस दिन को पृथ्वी के गुणों का सम्मान करने और लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन बनाने को बढ़ावा देना था।
पृथ्वी दिवस मनाने का उद्देश्य
जैसे-जैसे जमीन पर लोगों की संख्या बढ़ रही है, लोगों की बसाहट फैल रही है, वैसे-वैसे ही यहां प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों आदि का दोहन तेजी से बढ़ रहा है। इस असंतुलन के कारण वो दिन अब दूर नहीं, जब पृथ्वी पर रहने का स्थान ही नहीं बचेगा। ऐसे में जरूरी है कि, समय रहते लोग ही जागरुक हों। क्योंकि, जब तक पृथ्वी वासी अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझेंगे, तब तक हम लगातार अपने लिये ही गड्ढा खोदते रहेंगे। इसी मकसद को लेकर पिछले 50 वर्षों से पूरी दुनिया विश्व पृथ्वी दिवस मनाती आ रही है।
इस बार पृथ्वी दिवस के उत्सव का अलग रूप
इस साल कोरोना काल के चलते पृथ्वी दिवस तीन दिवसीय कार्यक्रम डिजिटली मनाया जा रहा है। इस कार्यक्रम का शुभारंभ 20 अप्रैल से किया जा चुका है, जो 22 अप्रैल तक चलेगा। ये कार्यक्रम जलवायु संकट के मुद्दों पर समर्पित है। आधिकारिक वेबसाइट Earthday.org के अनुसार, चर्चा के कुछ विषय होंगे जैसे जलवायु और पर्यावरण साक्षरता, जलवायु बहाली प्रौद्योगिकियां, पर्यावरण न्याय के साथ बहुत कुछ इस कार्यक्रम के बिंदू हैं।
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इस बार की थीम ‘रिस्टोर अवर अर्थ’
पृथ्वी दिवस 2021 के लिए इस साल की थीम ‘रिस्टोर अवर अर्थ’ सुनिश्चित की गई है। विषय बताता है कि, हमें गृह को पुनर्स्थापित करने और दुनिया के पारिस्थितिक तंत्र के पुनर्निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। वेबसाइट के अनुसार Earthday.org विषय “प्राकृतिक प्रक्रियाओं, उभरती हुई हरी प्रौद्योगिकियों और अभिनव सोच पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो दुनिया के पारिस्थितिक तंत्र को बहाल कर सकता है।
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