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याचिका के जरिये लगा ये आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वकील पीसी पालीवाल और उमेश त्रिवेदी के तरफ से इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी। इसपर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रदेश के दमोह में हुए उपचुनाव के साथ साथ अन्य राज्यों में चल रहे चुनावों में कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन करने और इसके चलते संक्रमण बढ़ने का आरोप लगाया गया।
स्वास्थ्य सेवाएं चरमराईं
हाईकोर्ट में दायर चाचिका के जरिये याचिकाकर्ता पीसी पालीवाल और वकील उमेश त्रिवेदी द्वारा कहा गया कि, मौजूदा समय में कोरोना अपने भयावय स्तर पर आन पहुंचा है। स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की पर्याप्तता नहीं है। एंटीवायरस ड्रग रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही है। श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए कतारों में लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे समय में किये गए चुनावों में कोरोना प्रोटोकॉल का न होना अपराध की श्रेणी में आता है।
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‘संक्रमण के बीच हुए चुनावों ने बिगाड़े हालात’
देश में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर और जीवन रक्षक दवाओं की पहले से ही कमी देखी जा रही है, लेकिन इसी दौरान उपचुनाव और विधानसभा के चुनाव करवाए गए। इसमें कोविड गाइडलाइन को ताक पर रखा गया। हाईकोर्ट ने चुनावी रैलियों में कोविड गाइडलाइन का पालन न होने पर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग और मध्यप्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग को भी नोटिस जारी किया है। सभी पक्षों को 26 अप्रैल तक इस संबंध में जवाब देना होगा।
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