पढ़ें ये खास खबर- MP में वैक्सीनेशन का महाअभियान : सुबह से ही सेंटरों पर लगी लंबी कतारें, कहीं मिल रहे इनाम, तो कहीं दिये जा रहे ऑफर
योगासनों का नियमितिकरण लंबी सेहत का वरदान
योग गुरु राजेश बैरागी ने जीवन में खुद को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखने के लिये कुछ खास योगासन बताए हैं। उनका कहना है कि, अगर कोई भी व्यक्ति अपनी संबंधित समस्याओं के बीच इनमें से चुनिंदा योगासनों को जीवन में नियमित रूप से करने लगें, तो न सिर्फ लंबे समय तक स्वस्थ रह सकेंगे, बल्कि कई गंभीर बीमारियों से भी बचे रहेंगे। तो, आइये जानते हैं उन चुनिंदा योगासनों के बारे में और उन्हें करने के सही तरीका भी।
पढ़ें ये खास खबर- जीवन का पाठ: मां की कमी महसूस नहीं होने दी, दुलार के साथ सख्ती भी दिखाई बनाया काबिल
ये योगासन जीवनभर आएंगे आपके काम
-अर्ध चन्द्रासन
इस आसन को करते समय शरीर की स्थिति अर्ध चंद्र जैसी करनी होती है। इसलिए इसे अर्धचंद्रासन कहा जाता है। अर्ध का अर्थ होता है आधा और चंद्रासन अर्थात चंद्र के समान किया गया आसन। इस आसन को खड़े होकर किया जाता है। ये आसन सामान्य स्ट्रेचिंग और बैलेंसिंग पोज़ है, जो खासकर कमर के निचले हिस्सों के लिये फायदेमंद हैं। साथ ही, पेट और सीने के लिए लाभकारी है। इस आसन को करने से तनाव दूर रहता है।
अर्धचंद्रासन का सही तरीका- इस आसन को करने के लिये सबसे पहले दोनों पैरों की एड़ी-पंजों को मिलाकर खड़े हों, दोनों हाथ कमर से सटे होने चाहिए और अपनी गर्दन सीधी रखें। फिर धीरे धीरे दोनों पैरों को एक दूसरे से करीब एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी पर रखें। ध्यान रहे कि इस आसन का अभ्यास करते वक्त आपका मेरुदंड सीधा रहे। इसके बाद दाएं हाथ को उपर उठाएं और कंधे के समानांतर लाएं। आपकी हथेली का रुख आसमान की तरफ हो। ध्यान रहे कि, आसन के दौरान आपका बायां हाथ कमर पर ही रहे। अब बाई ओर झुके, इस दौरान आपका बायां हाथ स्वयं ही नीचे खिसक जाएगा। याद रहे कि, बाएं हाथ की हथेली को बाएं पैर से अलग न हो। इसी स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहें, फिर धीरे धीरे सामान्य स्थिति में आएं। अगर इसे पहली बार कर रहे हैं, तो जितना हो सके उतना ही झुकें। इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ भी करें।
-भुजंगासन
इस आसन से रीढ़ की हड्डी की मजबूती और लचीलापन बढ़ता है। ये शरीर के सभी अंगों को मजबूती देकर उनके काम करने की क्षमता बढ़ाता है। इसे करने के लिए सबसे पहले अपने पेट के बल लेटें। अब अपने हथेलियों को अपने कंधे की सीध में लेकर आएं। इस दौरान अपने दोनों पांवों के बीच की दूरी को कम करके पांव को सीधे तानकर रखें। अब सांस भरते हुए बॉडी के अगले हिस्से को नाभि तक उठाएं। इस दौरान ध्यान रखें कि, अपनी कमर के ऊपर ज्यादा स्ट्रेच न आए। अपनी क्षमता अनुसार अपनी इस अवस्था को बना कर रखें। योग का अभ्यास करते समय धीमे धीमे सांस भरें और फिर छोड़ें। शुरुआती मुद्रा में वापस आते समय एक गहरी सांस को छोड़ते हुए वापस हों। इस तरह इस आसन का एक पूरा चक्र खत्म हुआ। इसे अपनी क्षमता के हिसाब से दोहराएं।
-बाल आसन
ये आसन आसान तो है ही लाभदायक भी है। बाल आसन कमर की मांसपेशियों को आराम देता है और ये आसन कब्ज़ को भी दूर करता है। मन को शांत करने वाला ये आसन तंत्रिका तंत्र को शांत रखता है। इसे करने के लिए अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं, एड़ी पर कूल्हों को रखें, आगे की ओर झुके और माथे को जमीन पर लगाएं। हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे की ओर बढ़ाते हुए जमीन पर रखें, हथेली आकाश की ओर (अगर ये आरामदायक ना हो तो आप एक हथेली के ऊपर दूसरी हथेली को रखकर माथे को आराम से रखें )। धीरे से छाती से जाँघो पर दबाव दें। स्थिति को बनाए रखें। धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं और रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे सीधा करें। आराम करें।
-मर्जरी आसन
मर्जरी आसन को नियमित रूप से करने से रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली होती है। इस आसन को करने से पीठ और कमर दर्द की समस्या दूर होती है। अपने घुटनों और हाथों के बल आएं और शरीर को एक मेज कई तरह बना लें। अपनी पीठ से मेज का ऊपरी हिस्सा बनाएं और हाथ और पैर से मेज के चारों पैर बनाएं। अपने हाथ कन्धों के ठीक नीचे, हथेलियां जमीन से चिपकी हुई रखें और घुटनों में पुट्ठों जितना अंतर रखें। गर्दन सीधी नजरें सामने की ओर रखें। सांस लेते समय ठोड़ी को ऊपर की ओर सर को पीछे की ओर ले जाएं, अपनी नाभि को जमीन की ओर दबाएं और अपनी कमर के निचे के हिस्से को छत की ओर ले जाएं। दोनों पुटठों को सिकोड़ लें। इस स्थिति को बनाएं रखें ओर लंबी गहरी सांसें लेते और छोड़ते रहें। अब इसकी विपरीत स्थिति करेंगे। सांस छोड़ते हुए ठोड़ी को छाती से लगाएं ओर पीठ को धनुष आकार में जितना उपर हो सके उतना उठाएं, पुट्ठों को ढीला छोड़ दें। इस स्थिति को कुछ समय तक बनाएं रखें और फिर पहले कि तरह मेजनुमा स्थिति में आ जाएं। इस प्रक्रिया को 5 से 6 बार दोहराने के बाद थोडी देर आराम करें।
-नटराज आसन
नटराज आसन करने से वजन कम होता है। ये आपके शरीर की मुद्रा सुधारता है और शरीर का संतुलन बढ़ाता है। शुरुआत में इसे करने में थोड़ा कठिनाई आ सकती है, लेकिनइसके नियमित अभ्यास से कुछ ही दिनों में इसकी आदत बन जाती है। सबसे पहले आराम की मुद्रा में खड़े हो जाएं। शरीर का भार बाएं पैर पर स्थापित करें और दाएं घुटने को धीरे धीरे मोड़ें और पैर को जमीन से ऊपर उठाएं। दाएं पैर को मोड़कर अपने पीछे ले जाएं। दाएं हाथ से दाएं टखने को पकड़ें। बाएं बांह को कंधे की ऊंचाई में उठाएं। सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को ज़मीन पर दबाएं और आगे की तरफ झुकें। दाएं पैर को शरीर से दूर ले जाएं। सिर और गर्दन को मेरूदंड की सीध में रखें। इस मुद्रा में 15 से 30 सेकेंड तक बने रहें। इससे आपका बॉडी बैंलेंस बहुत अच्छा होगा और आपका शरीर अधिक से अधिक लचीला बनेगा। इस आसन से रक्त संचार में सुधार होता है। नर्वस सिस्टम भी मजबूत होता है।
कोरोना वैक्सीन से जुड़े हर सवाल का जवाब – जानें इस वीडियो में