शहर में रोजाना औसतन 18 से 20 मरीज अस्पतालों की ओपीडी में कालापानी यानि ग्लूकोमा के इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इससे बड़ी समस्या यह है कि पहले यह बीमारी अकसर 50 से अधिक आयु के लोगों में देखने को मिलती थी। अब यह रोग 30 फीसदी से अधिक 40 से कम आयु के लोगों में देखने को मिल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि बार-बार चश्मे का नंबर बदले, आंख में खुजली या आंसू आने के साथ ही सिर में दर्द हो तो जांच जरूर करानी चाहिए। इसके अलावा 40 की आयु के बाद भी लोगों को जांच करानी चाहिए।
डॉ. एसएस कुबरे, नेत्र रोग विशेषज्ञ, जीएमसी का कहना है कि ज्यादातर मरीजों में यह समस्या तब सामने आती है, जब उनकी आंखों की रोशनी जा चुकी होती है। 40 की आयु के बाद सबको आंखों की जांच जरूर करानी चाहिए। यह बीमारी धीरे-धीरे आंखों की रोशनी तक छीन लेती है।
Glaucoma क्या है
ग्लूकोमा आंख से जुड़ी एक बीमारी है. इसे काला मोतियाबिंद भी कहा जाता है. यह बीमारी ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचा सकती है. बता दें कि ऑप्टिक नर्व के जरिए ही आंख से देखी गई जानकारी आपके मस्तिष्क तक पहुंचती है. आमतौर पर आंख के अंदर असामान्य रूप से बहुत अधिक दबाव के कारण ग्लूकोमा होता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता. समय के साथ आंख के अंदर बढ़ा हुआ दबाव ऑप्टिक नर्व के उत्तकों को नष्ट कर सकता है, जिससे नजर कमजोर होने के साथ ही अंधापन भी हो सकता है।
यह है कारण
● दिनचर्या का असर आपकी आंखों पर हो रहा है।
● लंबे समय से कोई दवाई खाने से भी यह समस्या हो सकती है।
● ब्लड सर्कुलेशन सही नहीं रहना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है।
● बिगड़ती लाइफ स्टाइल के चलते युवाओं में डायबिटीज के मामले बढ़े हैं, जिससे यह बीमारी भी बढ़ रही है।