एम्स अस्पताल में नहीं होती विटामिन डी की जांच
यहां तक एम्स में इलाज करा रहे एक मरीज का कहना है कि दो दिन से परेशान विटामिन डी की जांच भी बाहर के लिए लिखी गयी। जिसके बाद अगले दिन लंबीं लाइन से होकर डॉक्टर से इलाज मिल सका। एम्स जैसे बड़े अस्पताल में मरीजों को जांच की सुविधाएं नहीं मिल पा रही। ऐसे में मरीज छोटी-छोटी जांचों के लिए भी बाहर के दुकानों के चक्कर काट रहे।
जैनरिक दवाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा
निशुल्क दवाओं के नाम पर एम्स अस्पताल में जैनरिक दवाओं का स्टोर खुला है। लेकिन यहां दवाईयां नहीं मिल रही। मरीजों का कहना है कि जो दवाईयां मिल भी रही हैं उसके लिए मरीजों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा। कान के मरीजों को दिखाने के लिए 20 रुपए का ग्लप्स खरीदने की लाइन लग रही। अस्पताल में डॉक्टरों के कमी से मरीजों को दिनभर अस्पताल में चक्कर काटन पड़ रहा। एक ही मरीज को पूरा इलाज पाने के लिए कई दिनों तक अस्पताल आना पड़ रहा।
ऑनलाइन अपॉइंटमेंट की सुविधा लाचार
सागर के रहने वाले हरीश शर्मा का कहना है कि पिता के पैर का इलाज करवाने के लिए कई दिनों से ऑनलाइन टोकन बुक कर रहे थे। लेकिन 20 से ज्यादा टोकन न मिलने के कारण वे पिता का इलाज नहीं करा पा रहे। भोपाल एम्स अस्पताल में जिस दिन डॉक्टर को दिखाने के लिए हरीश अपने पिता को भोपाल एम्स लेकर आए तो पता चला की डॉक्टर इस दिन नहीं बैठते। ऐसे में बिना इलाज के वो घर वापस लौट गए। अब हरीश एक बार फिर पिता के इलाज के लिए जांच रिपोर्ट के लिए एम्स के बाहर की दुकानों का चक्कर काट रहें।