
लतीफ पेट में तेज दर्द के चलते हमीदिया अस्पताल में इलाज के पहुंचे थे। यहां यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने जांच में पाया कि मरीज की किडनी में एक तार का टुकड़ा फंसा हुआ है। मरीज ने कुछ समय पहले एक निजी अस्पताल में पथरी निकलवाने के लिए सर्जरी कराई थी। इसी दौरान तार का टुकड़ा शरीर में ही रह गया था। विभाग के डॉ. अमित जैन और डॉ. सौरभ जैन ने इंट्रावस्कुलर फॉरेन बॉडी रिट्रीवल इंटरवेंशनल प्रोसीजर के जरिए यह तार निकाला है। जिसमें बिना चीरे और मरीज को बेहोश किए सुई और कैथेटर से तार के टुकड़े को बाहर निकाला।
इसी तरह 59 साल की ऊषा लंबे समय से यूरिन में ब्लड आने की समस्या से पीड़ित थीं। जांच में देखा कि कैंसर के चलते उसका ब्लैडर सड़ चुका है। जानकारी के अनुसार मरीज में इलाज के दौरान दूसरा ब्लैडर बनाया गया था। वहीं कैंसर के चलते पुराना ब्लैडर को निकाला नहीं गया था। जो रक्त स्राव का कारण बना हुआ था। ऐसे में मरीज में हीमोग्लाबिन का स्तर 3 रह गया था। इसलिए रेडियो डायग्नोसिस विभाग ने बिना चीरे और बेहोश किए सुई और कैथेटर की मदद से पुराने संक्रमित ब्लैडर की रक्त आपूर्ति बंद कर दी। बता दें, रेडियो डायग्नोसिस विभाग द्वारा पहली बार एलिएक आर्टरी एंबोलाइजेशन प्रोसीजर किया गया। जिसका सुझाव विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. लवली कौशल द्वारा दिया गया था। हमीदिया अस्पताल में लगातार ऐसी जटिल सर्जरी हो रही हैं। डॉक्टरों ने अभी तक कई जटिल ऑपरेशन किए हैं। यही कारण है कि आसपास के करीब 10 जिलों से यहां मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। यहां प्रतिदिन ओपीडी दो हजार के करीब पहुंच रही है।
Updated on:
15 Mar 2024 11:45 pm
Published on:
15 Mar 2024 11:44 pm
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