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भोपाल. प्रदेश के तीन पूर्व मुख्य सचिवों की टीम कमलनाथ सरकार को सुशासन के लिए सलाह देगी। इसमें पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम, अंटोनी डिसा और बीपी सिंह शामिल हैं। इनकी सलाह के लिए सरकार ने गुड गवर्नेंस कंसल्टेंसी काउंसिल का गठन कर दिया है। काउंसिल का काम सुशासन, प्रशासनिक सुधार, नीति विश्लेषण व क्रियान्वयन, सरकारी-अद्र्ध-शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन और अन्य मामलों में सलाह देने का होगा। काउंसिल सरकार के थिंक टैंक की तरह काम करेगी। यह बताएगा कि सरकार की कार्यशैली में कहां क्या कमी है। इसमें क्या सुधार किए जा सकते हैं। आगे चलकर इसमें आइआइएम व आइआइटी के डायरेक्टर समेत अन्य एक्सपर्ट को जोड़ा जा सकता है। नियमों के अनुसार अब प्रदेश में मुख्य सचिव पद से रिटायर होने वाले अफसर स्वत: काउंसिल के सदस्य बन जाएंगे। ऐसी स्थिति में सबसे सीनियर पूर्व मुख्य सचिव को हटना होगा।
बीपी की सदस्यता पर सवाल
राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह की सदस्यता को लेकर सवाल उठ गए हैं। चर्चा है कि निर्वाचन आयोग की भूमिका निष्पक्ष होती है। लोकसभा चुनाव के बाद उनकी भूमिका चुनाव में सीधे तौर पर महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इसके बाद नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव होना है। ऐसे में सरकार के साथ आयुक्त के जुड़े होने पर निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता कटघरे में आ जाएगी।
क्यों पड़ी जरूरत...
दरअसल, सीएम कमलनाथ, पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के मौजूदा कार्यप्रणाली वाले सेंटर से सहमत नहीं थे। कमलनाथ का मानना है कि पूर्व सीएम चुनिंदा अफसरों की सलाह पर काम करते थे। केवल सुशासन संस्थान की सलाह से भी सहमति नहीं बन रही थी। इसलिए कमलनाथ ने अलग से एक थिंक टैंक तैयार करना तय किया। इसके तहत ही इस काउंसिल का गठन किया गया है। आगामी चुनाव के समय प्रशासनिक अधिकारियों का विजन कांग्रेस के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।
Published on:
15 Feb 2019 08:08 am
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