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भोपाल. प्रदेश के जिस लाडो अभियान को देशभर में सराहा गया और पुरस्कार मिले, उसके लिए सरकार ने इस बार बजट में पैसा नहीं रखा। इसी तरह घरेलू हिंसा से निपटने के लिए शुरू किए गए महिला सुरक्षा सहायता केेंद्र का बजट भी खत्म कर दिया गया। राज्य सरकार के महिलाओं और बालिकाओं के लिए तैयार किए गए जेंटर बजट में यह खुलासा हुआ है। ऐसे में इन योजनाओं पर ग्रहण लगने के आसार बढ़े हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार अपने कार्यक्रमों की शुरुआत बेटियों की पूजा के साथ करती है।
बालिकाओं को बाल विवाह से बचाने के लिए वर्ष 2013 में लाडो अभियान शुरू किया गया है। इससे बाल विवाह में कमी आई। इस तरह का अभियान शुरू करने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य रहा। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस योजना पर 130.20 लाख रुपए खर्च हुए थे। इसी तरह महिलाओं को पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा के लिए बजट में सिर्फ एक हजार रुपए का प्रावधान है। जबकि चालू वित्तीय वर्ष (2020-21) में 416.00 लाख रुपए का बजट प्रावधान है।
- इन योजनाओं को कुछ नहीं दिया
लाडो अभियान
अनाथ बालिकाओं को नि:शुल्क शिक्षा
छात्राओं को आवागमन सुविधा
ऊषा किरण केेंद्र
घरेलू हिंसा के विरुद्ध सुरक्षा एवं सहायता केंद्र
कृषि में महिलाओं की भागीदारी
मुख्यमंत्री खेत तीर्थ योजना
मुख्यमंत्री बाल श्रवण सहायता
गायन विद्यालयों को अनुदान
बालिका छात्रावासों की सुरक्षा एवं चौकीदार रूम
साक्षर भारत
- महिला उद्यमियों पर भी हाथ खींचे
महिलाएं भी उद्यमी बनें, इसलिए स्वरोजगार के लिए सरकार उनकी हौसला अफजाई करती है, लेकिन इस बार सरकार ने हाथ पीछे खींचे हैं। जेंडर बजट पर नजर डाली जाए तो सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं उद्यम विभाग ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में बजट में 10005.00 लाख रुपए का प्रावधान है, वहीं अगले वित्तीय वर्ष के लिए इसमें कोई बजट नहीं रखा गया है। कुछ इसी प्रकार की स्थिति इसी
विभाग के तहत मुख्यमंत्री आर्थिक सहायता योजना और मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना की है।
- इन योजनाओं में बढ़ोतरी
राज्य सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट में पिछले बार की तुलना में दो फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। वहीं, अन्य महकमों में महिलाओं और बेटियों से जुड़ी योजनाओं का बजट भी बढ़ाया है।
- लॉकडाउन में बढ़ी घरेलू हिंसा
कोरोनाकाल के दौरान लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के मामले तेजी से बढ़े। मार्च 2020 से फरवरी 2021 तक महिला हेल्पलाइन में 14 हजार 450 मामले आए। इनमें से 12 हजार 513 का निराकरण किया जा चुका है। इसी तरह मार्च 2019 से फरवरी 2020 तक बाल विवाह के 450 मामले सामने आए हैं। मार्च से नवंबर 2020 तक 292 मामले दर्ज हुए हैं।
Published on:
04 Mar 2021 05:06 am
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