
नेक्स्ट परीक्षा से होगा मेडिकल पीजी में प्रवेश
भोपाल। सिकल सेल एनीमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, थैलीसीमिया, कैंसर ल्यूकीमिया, मल्टीपल माईलोमा, नॉन हॉजकिन्स लिंफोमा जैसी जेनेटिक बीमारियों के इलाज सरकार पहल करने जा रही है। भोपाल समेत प्रदेश के चार मेडिकल कॉलेज जबलपुर, ग्वालियर और रीवा में बोनमैरो ट्रांसप्लांट हो सकेगा। इसमें अमेरिका के डॉक्टर भी सहयोग करेंगे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने बताया कि प्रदेश में स्टेम सेल थैरेपी आधारित बोनमैरो ट्रांसप्लांट और पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट की स्थापना की जा रही है। उक्त चारों जिलों में ये यूनिट्स 6 माह में विकसित होंगे। मंत्री ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में बताया कि नए बनने वाले यूनिट्स में बच्चों की उक्त जेनेटिक बीमारियों के इलाज के लिए संक्रमित बोनमैरो निकाले जा सकेंगे। उन्हें दूसरी बोनमैरो ट्रांसप्लांट की जा सकेगी।
पहले चरण में गांधी मेडिकल कॉलेज में यूनिट
पहले चरण में गांधी मेडिकल कॉलेज में 6 बेड के बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट और 24 बेड वाले पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट की स्थापना होगी। इसमें स्वयं के (ऑटोलॉगस) स्टेम सेल ग्राफ्टिंग एवं अन्य व्यक्ति के (एलोजेनिक) बोनमैरो ट्रांसप्लांट किए जाएंगे। इससे पहले पीडि़त मरीज के ही स्टेम सेल निकालकर क्रायो प्रिजर्व किया जाएगा।
कोई भी कर सकता है रजिस्टर
मंत्री ने बताया कि भारत सरकार की स्टेम सेल रजिस्ट्री में कोई भी व्यक्ति स्वेच्छा से अपने बोनमैरो को डोनेट करने के लिए स्वयं को रजिस्टर कर सकता है। इससे बीमार लोगों को काफी राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। यही नहीं उनका सही समय पर इलाज भी हो सकेगा।
- 6 बेड बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट में रहेंगे
- 24 बेड होंगे पीडियाट्रिक कैंसर यूनिट में
- 6 बेड आईसीयू में रखे जाएंगे
- 20 बोनमैरो ट्रांसप्लांट एक साल में करने का लक्ष्य
Published on:
02 Apr 2022 01:08 am
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