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कलेक्टरों के पास होगा मोबाइल टॉवर की मंजूरी देने का अधिकार

मध्यप्रदेश में 15 हजार गांव ऐसे हैं, जहां अभी मोबाइल नेटवर्क नहीं है

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भोपाल. कमलनाथ सरकार अब मध्यप्रदेश में मोबाइल टॉवर लगाने की नीति में बदलाव करने जा रही है। इसके तहत मोबाइल टॉवर लगाने के अधिकार कलेक्टरों को दिए जाएंगे। अभी इसके लिए राज्य सरकार से मंजूरी लेना पड़ती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। शनिवार को जबलपुर में कैबिनेट बैठक में यह प्रस्तावित नीति रखी जाएगी। दरअसल, 15 हजार गांव ऐसे हैं, जहां अभी मोबाइल नेटवर्क नहीं है। केंद्र सरकार ने 2020 तक प्रत्येक गांव तक मोबाइल नेटवर्क का लक्ष्य दिया है। इसलिए राज्य सरकार ने इस साल 6255 नए मोबाइल टॉवर लगाना तय किया है। वहीं अब तक प्रदेश की 12 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है। बाकी 11 हजार पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर केबिल बिछाई जा रही है। अगले तीन साल में इन्हें नेट से जोड़े जाने का लक्ष्य है। इसके तहत मोबाइल टॉवर नीति में संशोधन होगा। मोबाइल टॉवर बढ़ाने के बावजूद सरकार पर्यावरण नियमों और रेडिएशन के खतरे को लेकर सख्ती बरतेगी।

पंचायत प्रतिनिधि का कार्यकाल बचेगा

कैबिनेट में ग्राम पंचायत अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव भी रखा जाएगा। इसके तहत परिसीमन के तहत यदि किसी ग्राम पंचायत को नगरीय सीमा में शामिल किया जाता है, लेकिन कुछ गांव या पंचायत का कुछ हिस्सा बाहर रह जाता है, तो उस पंचायत के जनप्रतिनिधि का कार्यकाल पूरा होगा। अभी ऐसा नहीं होता है। परिसीमन होने पर ग्राम पंचायत के बचे हिस्से के बावजूद पंचायत का कार्यकाल खत्म हो जाता है। इसके अलावा संबंधित जनप्रतिनिधि पार्षद का चुनाव लड़ता है, तो उसका पद खाली माना जाएगा। इसके अलावा निर्वाचन के लिए अतिरिक्त पदों की मंजूरी का प्रस्ताव भी बैठक में रखा जाएगा।

आधार कार्ड के लिए नया एक्ट आएगा...

आधार कार्ड को राज्य की संचित निधि से जोडऩे के लिए सरकार नया एक्ट लाने जा रही है। अभी केंद्र की योजनाओं में संचित निधि से आधार जुड़ जाता है, लेकिन राज्य की संचित निधि में ऐसा नहीं हो पाता। इसलिए राज्य की योजनाओं के लिए सरकार लिंकअप करने का नियम लाएगी। कैबिनेट मंजूरी के बाद इसे विधानसभा में रखा जाएगा। इसके अलावा राज्य से बाहर महिला खिलाडिय़ों के जाने पर साथ महिला कोच ही जाने की अनिवार्यता की जाएगी। अभी तक पुरुष कोच जाते हैं। ये नियम कैबिनेट में लाए जाएंगे।