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दो लड़कों से लड़ा रही थी इश्क, दूसरे lover के साथ मिलकर कराया पहले का मर्डर  

हत्या के बाद उसने यह पुष्टि भी की थी कि गोपाल का काम तमाम हो गया या नहीं। 

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Nitesh Tripathi

Apr 06, 2016

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विदिशा/भोपाल। सुभाषनगर निवासी गोपाल रैकवार की हत्या की जिम्मेदार उसकी बेवफा प्रेमिका ही थी। उसी ने अपने दूसरे प्रेमी अकरम के साथ मिलकर दो साल पुराने आशिक गोपाल उर्फ मनी की हत्या की साजिश रची थी। हत्या के बाद उसने यह पुष्टि भी की थी कि गोपाल का काम तमाम हो गया या नहीं। पुलिस के सामने सारा सच उगलने के बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इस मामले में कोतवाली टीआई राजेश तिवारी ने पत्रिका को जो बताया वह इस प्रकार है...

सुभाषनगर निवासी 22 वर्षीय गोपाल रैकवार का लोहांगी मोहल्ला निवासी 19 वर्षीय निशा जाटव से दो साल से प्रेम प्रसंग था। पहले गोपाल अपनी प्रेमिका पर खूब पैसा खर्च करता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह तंगी के दौर से गुजर रहा था। इस बीच निशा का मीट मार्केट निवासी अकरम कुरैशी से परिचय हुआ और जल्दी ही दोनों का झुकाव एक-दूसरे की तरफ बढ़ गया। अकरम, निशा पर पैसे खर्च करने लगा और दोनों प्यार की पींगे भरने लगे। यह बात गोपाल को पता चली तो उसने निशा और अकरम से अपनी नाराजगी जाहिर की। इस बात को लेकर गोपाल और निशा में भी विवाद रहने लगा। निशा गोपाल से मुक्त होने के लिए कसमसाने लगी, जबकि गोपाल को निशा के सिवाय कुछ सूझ नहीं पड़ता था।

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मृतक गोपाल रैकवार

होटल में रची थी साजिश
29 मार्च की रात करीब 9 बजे माधवगंज स्थित कृष्णा स्वीट्स पर अकरम और निशा मिले। यहां करीब 20 मिनट बैठकर योजना बनाई कि किस तरह गोपाल को रास्ते से हटाया जाए। अकरम ने सुरेश पाल को 500 रुपए देकर गोपाल को शराब पिलाने और मीट मार्केट स्थित अपनी दुकान पर लाने को कहा। अकरम से बात होने पर सुरेश ने गोपाल को अपनी बाइक पर बिठाया और गुठान के पास कलारी में शराब पिलाकर उसे मीट मार्केट में अकरम की दुकान पर ले गया। इस बीच निशा ने यह कन्फर्म करने के लिए कि गोपाल मीट मार्केट आया या नहीं, उसे फोन लगाया। जब गोपाल ने कहा कि वह सुरेश पाल के साथ है, तो फिर वह अपनी योजनानुरूप काम होने से निश्चिंत होकर घर चली गई। अकरम अपनी दुकान पर आ गया। तब तक 10.30 बज चुके थे। सुरेश और अकरम ने गोपाल को डिस्पोजेबल गिलास में बकरी का दूध पीने को दिया। जैसे ही उसने दूध पीने के लिए गला ऊंचा किया तो सुरेश पाल ने गोपाल के दोनों हाथ पकड़ लिए। अकरम ने एक हाथ से गोपाल के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से बका(मीट काटने का छुरा) से गोपाल के गले में वार कर उसे मौत के घाट उतार दिया।
निशा ने पूछा-काम हो गया


करीब 11 बजे निशा ने फिर अकरम को फोन कर पुष्टि की कि काम हो गया या नहीं। अकरम से गोपाल की मौत की पुष्टि होने पर वह फिर अकरम के पास आई। दोनों करीब 1 घंटे तक साथ रहे। इसके बाद अकरम करीव सवा 12 बजे निशा को लोहांगी मोहल्ले में उसके घर के पास छोड़कर वापस आया। कुछ समय और बीता तो सुबह करीब 4 बजे सुरेश पाल और अकरम ने लाश को बोरे में भरकर बाइक पर रखा और महलघाट के पास कुए में फेंक आए।

गोपाल को ढूंढने का नाटक
इस दौरान गोपाल के घर से गायब होने पर परिजनों ने तलाश शुरू की, तो निशा ने उन्हें भ्रमित करने के लिए परिजनों के साथ ही गोपाल को ढूंढने का नाटक किया। गोपाल को तलाशने उनके साथ हर जगह जाती रही। उसने अकरम से यह कहा भी था कि तुम लोगों पर शक न जाए इसलिए मैं गोपाल के परिवार वालों के साथ रहूंगी। लेकिन अकरम, निशा और सुरेश पाल का यह षडय़ंत्र लम्बा नहीं चल पाया।

अब जेल की सलाखों में
मृतक के भाई संतोष रैकवार ने शक के आधार पर सुरेश और निशा को पुलिस के हवाले किया। पहले पुलिस ने मामूली पूछताछ कर उन्हें छोड़ दिया था, लेकिन 3 मार्च की रात सुरेश पाल को फिर बुलाकर पूछताछ की तो उसने अकरम के साथ मिलकर गोपाल को मौत के घाट उतारना कबूल दिया। फिर अकरम और फिर निशा को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ की तो सारा सच सामने आ गया। आरोपियों पर पुलिस ने हत्या करने, षडय़ंत्र रचने और अपराध के लिए उकसाने के मामले में भादंवि की धारा 302, 120 बी, 34 तथा 109 की कायमी कर कार्रवाई की है। सुरेश और अकरम को पुलिस रिमांड पर लिया गया है, जबकि निशा को जेल भेज दिया है।