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चुनिंदा लोकसभा सीटों पर राहुल कार्यालय और संघ सक्रिय

locationभोपालPublished: Apr 30, 2019 11:48:19 pm

Submitted by:

anil chaudhary

लोकसभा का रण : कठिन व महत्त्वपूर्ण सीटों को लेकर जुटा रहे जानकारी, रणनीति अपग्रेड करने में हो रहा प्रारंभिक रिपोर्ट का इस्तेमाल

chunav

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भोपाल. प्रदेश की चुनिंदा लोकसभा सीटों पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का अलग फीडबैक सिस्टम काम कर रहा है। इसमें भोपाल जैसी कठिन सीटों के गणित से लेकर अन्य दिग्गजों की सीटों की फीडबैक रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसमें प्रारंभिक आकलन के हिसाब से सियासी रणनीति को अपग्रेड भी किया जाना है।
– इन सीटों पर खास फोकस
भोपाल- भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर के आमने-सामने से ये देश की टॉप हॉट सीट में शुमार है। यहां के पूरे फीडबैक पर ध्यान दिया जा रहा है। दिग्विजय के चुनाव कैंपेन को बेहतर माना गया है। इसी कारण अब भाजपा ने यहां पूरा फोकस कर दिया है। उस पर संघ का दखल भी है, इसलिए राहुल कार्यालय हर बात का अपडेट ले रहा है।
इंदौर – यहां भाजपा की दिग्गज नेता सुमित्रा महाजन ‘ताईÓ का टिकट कटा है। ऐसे में कांग्रेस को चार दशक बाद इस गढ़ में ताई की अनुपस्थिति के कारण सेंध लगाने का मौका है, इसलिए पार्टी पूरी ताकत झोंक रही है। यहां कांग्रेस प्रत्याशी पंकज संघवी है। ये सीट भी कांग्रेस की प्राथमिकता वाली सीटों में शुमार है।
गुना – यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने भाजपा ने केपी यादव को उतारा है। सिंधिया के पास उत्तर प्रदेश का प्रभार भी है, जिससे वे प्रचार के लिए कम समय निकाल पाए हैं। सिंधिया को राहुल के करीब माना जाता है। ऐसे में इस सीट पर भी पूरा फीडबैक लिया जा रहा है।
खजुराहो – यह सीट इस बार कांग्रेस की प्राथमिकता में शुमार हुई है। यहां भाजपा ने वीडी शर्मा को उतारा है, जबकि कांग्रेस ने विधायक विक्रम सिंह नातीराजा की पत्नी कविता सिंह को टिकट दिया है। कांग्रेस प्रारंभिक रिपोर्ट में इस सीट को अपने लिए मजबूत मान रही है। डेढ़ दशक बाद यहां कांग्रेस को जीत की उम्मीद है।
खंडवा – यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता अरुण यादव व भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान में जंग है। अरुण को भी राहुल टीम का सदस्य माना जाता है। यहां कांग्रेस को सरकार बनाने में समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा ने बगावत कर पत्नी राजश्री को मैदान में उतारा है। ऐसे में इस सीट में भितरघात का फीडबैक मिल रहा है।
सतना – यहां भाजपा सांसद गणेश सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम त्रिपाठी में मुकाबला है। यह सीट पिछली बार सबसे कम वोट के अंतर से हार वाली थी, इसलिए राहुल कार्यालय का ध्यान इस पर है। पिछली बार यहां अजय सिंह चुनाव लड़े थे, जो इस बार सीधी से लड़े हैं। सतना पर जीत की संभावना देख रही कांग्रेस अपनी रणनीति लगातार अपग्रेड कर रही है।

रतलाम – यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता कांतिलाल भूरिया और भाजपा विधायक जीएस डामोर आमने-सामने हैं। आदिवासी बाहुल्य यह सीट गुजरात की सरहद से लगी है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद 2015 के उपचुनाव में देश में सबसे पहले कांग्रेस के हाथ आने वाली यह सीट है। इस पर भी सीधी निगरानी है। यहां डामोर ने विधानसभा चुनाव में भूरिया के बेटे विक्रांत को शिकस्त दी थी, इसलिए इस बार कांग्रेस ज्यादा ध्यान दे रही है।
मंदसौर- किसान आंदोलन में गोलीकांड का क्षेत्र होने से विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद थी, लेकिन उसे अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिल पाई। कांग्रेस इसके कारणों की खोज में रही। अब भी किसान कर्जमाफी कांग्रेस का बड़ा मुद्दा है, इसलिए इस सीट पर फीडबैक जुटाया जा रहा है। यहां राहुल के कोर-ग्रुप में रहीं मीनाक्षी नटराजन और भाजपा सांसद सुधीर गुप्ता में मुकाबला है। गुप्ता के लिए संघ काम कर रहा है।
– टिकट के समय भी फॉर्मूला
इससे पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव टिकट के समय भी राहुल कार्यालय के सर्वे ने अलग रिपोर्ट तैयार की थी। इसका असर भी बाद में टिकट में दिखा। अनेक नए चेहरों को मौका मिला। हालांकि, दिग्गज नेताओं की सिफारिश, पसंद और गुटीय राजनीति भी टिकट में असरदार रही, लेकिन राहुल कार्यालय के फीडबैक से तालमेल बैठाकर ही टिकट फाइनल किए गए थे।

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