
Stars cant get on grounds of seven assembly constituencies in barmer
भोपाल। आईटी और गैर प्रदूषणकारी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार मौजूदा नियमों को बदलने जा रही है। प्रदेश के 77 शहरों के मास्टर प्लान के प्रकाशन से पहले नए नियमों पर आपत्ति और सुझाव भी सुने जाएंगे। नए नियमों के तहत खेती और सार्वजनिक जमीनों पर आईटी एवं गैर प्रदूषणकारी उद्योग स्थापित करने के लिए लैंड यूज बदलने का नियम समाप्त कर दिया जाएगा।
इन उद्योगों के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से अनुमति लेने की बाध्यता को भी समाप्त किया जाएगा। टीएनसीपी ने नियमों के प्रकाशन से पहले ११ मार्च तक आपत्तियां और सुझाव मांगे हैं। मास्टर प्लान के मसौदे पर सुनवाई के लिए ये दूसरा मौका है, जब नागरिकों से सुझाव मांगे जा रहे हैं। इससे पहले 22 से 24 नवंबर 2017 तक प्राइवेट नर्सिंग होम एवं अस्पतालों के मुद्दे पर आपत्ति और सुझाव सुनने की कार्रवाई की जा चुकी है। उस वक्त आईटी-गैर प्रदूषणकारी उद्योगों का मुद्दा भी चर्चा में लाया जाना था लेकिन इससे पहले ही विरोध शुरू हो जाने के बाद सरकार ने प्रस्ताव को टाल दिया था। ये कार्रवाई दोबारा शुरू हुई है और 77 शहरों के मास्टर प्लान में बदलाव की शुरुआत प्रदेश के चार महानगर भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर से की जा रही है। अभी ११ मार्च तक इस पर सुनवाई की जाएगी।
ये हैं पॉल्यूशन बोर्ड में लिस्टेड उद्योग
एयर कंडीशनर एवं कूलर रिपेयरिंग उद्योग, नॉन मोटराइज्ड एवं साइकिल असेंबली, कागज को हायड्रोलिक प्रेस से विनिष्टिकरण करना, बायो उर्वरक तैयार करना, बिस्किट और अंडा रखने के ट्रे बनाने का काम , चाय पैकिंग और चॉक बनाना, प्लास्टर ऑफ पेरिस, रुई, सिंथेटिक और वूलन होजरी आयटम बनाना, सीएफएल एवं दूसरे इलेक्ट्रिक लेंप उपकरण बनाना, डीजल पंप की मरम्मत और ईंट एवं पेवर ब्लॉक तैयार करना, चमड़ा काटने का काम और फाउंटेन पेन बनाने सहित 744 उद्योग इस सूची में शामिल हैं।
पूर्व सीएस की आपत्ति पर सुनवाई
मास्टर प्लान के प्रस्तावित मसौदे की बारीकियों पर एक साथ सुझाव और आपत्ति मांगने की प्रक्रिया पर पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच ने सवाल उठाए थे। सीएम को पत्र लिखकर उन्होंने हर मुद्दे पर अलग से दावा, आपत्ति और सुझाव सुनने की मांग की थी। इसके बाद ही मसौदे के हर महत्वपूर्ण बिंदु पर सुझाव और आपत्तियां मंगवाई जा रही हैं।
नुकसान की आशंका पर फायदे का दावा
खेती की जमीन पर आईटी और गैर प्रदूषणकारी उद्योगों को नियमों में छूट देने के साथ योगा, स्पोट्र्स सेंटर, प्राकृतिक चिकित्सा सेंटर, आर्ट गैलरी, मछली, मधुमक्खी पालन केंद्र और स्वल्पाहार केंद्र स्थापित करने को भी छूट के दायरे में लाया जाएगा। पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे के मुताबिक इससे खेती की जमीन पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी और कृषि को बढ़ावा देने का दावा सरकार खुद खत्म कर देगी।
एग्रीकल्चर, प्राइवेट और सेमी प्राइवेट लैंड पर नॉन पॉल्यूशन और आईटी इंडस्ट्री लगाने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी। जिसके बाद नियमों में बदलाव की आवश्यकता हो रही थी। मास्टर प्लान के नए मसौदे में इस मुद्दे पर अलग से सुझाव और आपत्तियां मांगी गई हैं।
- स्वाति मीणा, डायरेक्टर, टीएनसीपी
Published on:
17 Feb 2018 08:05 am
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