वहीं, मंत्रालय सूत्रों की मानें, तो सरकार कोरोना के चलते बिगड़ी अर्थ व्यवस्था को सुधारने के प्रति हरसंभव प्रयास करते हुए इसमे सुधार करने के क्षेत्र में व्यवस्था कर सकता है।सरकार ने तय किया है कि बड़े डिफाल्टर्स से बकाया करोड़ों रुपए वसूल करने के लिए रियायत दी जाए। इसको लेकर मुख्य सचिव ने सभी विभागों से रिपोर्ट तलब की है।
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बकायदारों को दी जाएगी ढील
दरअसल, बड़े बकायादार चक्रवृद्धि ब्याज या अधिक पेनाल्टी के कारण सरकार का बकाया भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे डिफाल्टर्स को राशि जमा करने में रियायत देकर सरकार डूबे धन से राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इससे साफ है कि सरकार उप चुनाव और नगरीय निकाय के चुनाव से पहले अटके हुए कामों को रफ्तार देने के लिए कर्ज का सहारा ले रही है। सरकार ने इससे पहले 13 जुलाई को 2 हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से लिया था।
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पहले से ही ढाई लाख करोड़ से ज्यादा की कर्जदार है प्रदेश सरकार
मध्यप्रदेश सरकार पर अब तक 2 करोड़ 53 लाख 335 करोड़ का कर्ज हो चुका है। इसमें एक लाख 54 हजार करोड़ का कर्ज खुले बाजार का है। शेष कर्ज में सरकार को पावर बांड सहित अन्य बांड का कंपनशेशन का 7360 करोड़, वित्तीय संस्थाओं की देनदारी 10,901 करोड़, केन्द्र सरकार के ऋण एवं अग्रिम के 31 हजार 40 करोड़ सहित अन्य दायित्व 20 हजार 220 करोड़ रुपए शामिल हैं।
मुख्य सचिव तैयार करा रहे रिपोर्ट
इस संबंध में मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस द्वारा ने विभागों को पत्र लिखते हुए कहा है कि कतिपय विभागों में विभिन्न मदों में बकाया राशि की वसूली करोड़ों में लंबित है। मसलन, खनिज प्रकरण में पेनाल्टी, विलंब से दिए जाने वाले भुगतान पर सरचार्ज, डायवर्सन शुल्क रेंट आदि कई मसले हैं, जिसमें चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के कारण बकाया राशि बहुत अधिक हो गई है। ऐसे में बकाया वसूली के लिए विभाग डिफाल्टर को देय राशि में आवश्यक कंशेसन ऑफर करें, ताकि बकायादार राशि जमा कर सकें। ब्लॉक रिकवरी में से देय राशि की योजना के मुताबिक, वसूली कर राजस्व संग्रहण बढ़ाने और प्रकरण खत्म करने के लिए ऐसा करना जरूरी है।
कमलनाथ बोले- ‘श्वेत पत्र जारी करे सरकार’
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने मध्य प्रदेश पर लगातार बढ़ रहे आर्थिक संकट को देखते हुए सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है, ताकि वित्तीय प्रबंधन की स्थिति स्पष्ट हो। इस संबंध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को कमलनाथ ने 26 अगस्त को पत्र भी लिखा था। उन्होंने कहा कि न तो कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ाया जा रहा है और न ही प्रदेश की जनता को महंगाई से राहत देने के प्रयास किये जा रहे हैं।
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