
Shillong police expects big disclosures in three days in Raja Raghuvanshi murder case (फोटो सोर्स- पत्रिका)
Sonam Raghuwanshi Case: इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की शिलांग में हुई सनसनीखेज हत्या ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए राजा की पत्नी सोनम रघुवंशी को ही आरोपी बनाया है। शादी के तुरंत बाद हनीमून पर गए इस कपल की कहानी ऐसी आपराधिक गुत्थी में बदल गई है, जो न केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों को बल्कि समाजशास्त्रियों और मनोचिकित्सकों को भी सोचने पर मजबूर कर रही है। इस घटना ने एक बार फिर ‘एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर’ (एएसपीडी) जैसे जटिल मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर बहस छेड़ दी है। जिनकी वजह से व्यक्ति में असामाजिक और अक्सर आपराधिक व्यवहार देखने को मिलता है।
मनोचिकित्सकों के अनुसार, एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति दूसरों के अधिकारों की उपेक्षा करता है। उस व्यक्ति के प्रति कोई सहानुभूति नहीं दिखाता। ऐसे व्यक्ति अक्सर धोखेबाज और आकस्मक होते हैं। वे नियमों और कानूनों का पालन नहीं करते हैं। अपने कार्यों के लिए कोई पछतावा महसूस नहीं करते। इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, जिसमें दूसरों को नुकसान पहुंचाना भी शामिल है।
पुलिस के मुताबिक राजा रघुवंशी और सोनम की शादी हाल ही में हुई थी और वे हनीमून के लिए शिलांग गए थे। यह कल्पना से परे था कि जिस रिश्ते की शुरुआत इतनी खुशी और उम्मीदों के साथ हुई थी, उसका अंत इतनी क्रूरता व रहस्यमयी तरीके से होगा।
पुलिस की जांच और सोनम की गिरफ्तारी ने इस मामले को और भी उलझा दिया है, खासकर जब अपराध का कथित मकसद और उसके पीछे की मानसिकता स्पष्ट नहीं हो रही है। इस तरह के मामलों में, जहां करीबी रिश्तेदार ही हत्या के आरोपी होते हैं, अक्सर मनोवैज्ञानिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे मामलों में, जहां कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी की हत्या जैसा अपराध करता है, अक्सर यह आशंका जताई जाती है कि उसमें गहरे मानसिक विकार हो सकते हैं।
एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को दूसरों को कष्ट पहुंचाने या उनके अधिकारों का उल्लंघन करने पर कोई पछतावा या दु:ख नहीं होता है। ऐसे लोग अक्सर धोखाधड़ी, हेरफेर और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार करते हैं, जिससे उनके सामाजिक, व्यावसायिक व व्यक्तिगत संबंधों में गंभीर समस्याएं आती हैं। यह स्थिति अक्सर बचपन या किशोरावस्था में शुरू होती है।
-डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, वरिष्ठ मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिक विश्लेषक
Published on:
16 Jun 2025 08:54 am
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