पंडितों का कहना है कि पुष्य को नक्षत्र का राजा माना जाता है, यह शुभ कार्यों के लिए काफी श्रेष्ठ है, खासकर जब भी गुरुवार और रविवार को पुष्य नक्षत्र विद्यमान रहता है, तब गुरु और रवि पुष्य का संयोग बनता है। यह योग सोना, चांदी, वाहन, भवन, भूमि सहित स्थायी खरीदारी के लिए काफी शुभ होता है। इसमें की कई खरीदारी स्थायित्व प्रदान करती है, इसलिए इस संयोग में बाजारों में सबसे अधिक खरीदारी होती है।
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स्थायित्व देती है इसमें की गई खरीदारी
ज्योतिष मठ संस्थान के पं. विनोद गौतम के अनुसार साल में जब गुरुवार अथवा रविवार को पुष्य नक्षत्र आता , तब गुरु पुष्य और रवि पुष्य का संयोग बनता है। इस बार यह संयोग तीन बार बनेगा। इसमें पहली 10 अप्रैल को रवि पुष्य नक्षत्र, 8 मई को रवि पुष्य नक्षत्र और 25 अगस्त को गुरु पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा। इसमें की गई खरीदारी स्थायित्व प्रदान करती है, इसलिए इस नक्षत्र में खरीदारी का विशेष महत्व है। वर्ष प्रवेश की उदयकालिक लग्न के अनुसार वर्ष 2022 में स्वराशि का मंगल, स्वराशि का शनि और उच्च का राहू होने से भूमि स्वर्ण लाल वस्तुओं के दामों के वृद्धि करेगा।