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भोपाल

जब तक ट्रिपल टेस्ट नहीं तब तक पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

-सुप्रीम कोर्ट ने मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली रिपोर्ट को ट्रिपल टेस्ट का पूर्णत: अनुपालन मानने से किया इनकार

भोपालMay 12, 2022 / 12:59 am

manish kushwah

जब तक ट्रिपल टेस्ट नहीं तब तक पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

जब तक ट्रिपल टेस्ट नहीं तब तक पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं कर सकते: सुप्रीम कोर्ट

भोपाल. पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिए फैसले में कहा है कि जब तक राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट की औपचारिकता पूरी नहीं करती, तब तक अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जा सकता। यदि ये कार्य राज्य चुनाव आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम जारी करने से पहले नहीं किया जाता तो अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित सीटों के अलावा सभी सीटें सामान्य श्रेणी में अधिसूचित की जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार द्वारा पंाच मई को कोर्ट में पेश की गई पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली रिपोर्ट को सिर्फ ट्रिपल टेस्ट की दिशा में ंपहला कदम बताया है। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया था कि प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग 48 फीसदी मतदाता हंै और इस वर्ग के लिए 35 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में ये भी खास
-पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्र्ट ओबीसी वर्ग को आरक्षण का उचित प्रतिशत दिलाने की दिशा में केवल एक कदम है। वर्तमान स्वरूप में इस रिपोर्ट की उपयोगिता नहीं है।
-यह आग्रह किया गया कि कुछ निकायों में ओबीसी आबादी 50 फीसदी से अधिक है। यह तर्क संवैधानिक व्यवस्था की अवहेलना का आधार नहीं हो सकता। राजनीतिक दल ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों को नामित करने के लिए स्वतंत्र हैं।
-राज्य चुनाव आयोग को और इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है। बिना किसी देरी के चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित किए जाएं।
-मप्र राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से दिए गए तर्क, कि कुछ रिट याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं, जिनमें अंतरिम आदेश भी जारी किए गए हैं। यदि सिविल या उच्च न्यायालय द्वारा पारित कोई आदेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विरोध में है तो उन्हें इस आदेश के अनुसार अधिक्रमित माना जाए और इस न्यायालय की अनुमति के बगैर कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
-राज्य सरकार द्वारा 2022 के संशोधन अधिनियम के अनुसान परिसीमन नहीं किया या ओबीसी वर्ग को आरक्षण के लिए ट्रिपल टेस्ट की अनिवार्यता पूरी नहीं की तो राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकायों के आगामी चुनावों में भी लागू करेगा।

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