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गुजरात के गिर से शेर लाने की रणनीति तय करेगा वाइल्ड लाइफ बोर्ड

गुजरात के गिर से शेर लाने की रणनीति तय करेगा वाइल्ड लाइफ बोर्ड कमलनाथ सरकार के नए वाइल्ड लाइफ बोर्ड की पहली बैठक 21 को

भोपालAug 14, 2019 / 02:58 pm

Ashok gautam

lion

भोपाल। मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में नए वाइल्ड लाइफ बोर्ड की पहली बैठक 21 अगस्त को मंत्रालय में होगी। इस बैठक में गुजरात के गिर से एशियाटिक लॉयन (बब्बर शेर) लाने का रणनीति पर चर्चा होगी।

वाइल्ड लाइफ विंग के अधिकारी शेरों को लाने के लिए 27 साल से किए जा रहे प्रयासों को सिलसिलेवार मुख्यमंत्री नाथ को बताएंगे। शेर लाने के किए केन्द्र और गुजरात सरकार से किए अभी तक के पत्राचारों और शेरों के लिए तैयार किए गए कुनो पालपुर पार्क के संबंधों की जानकारी देंगे।

 

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इसमें इस बात का भी उल्लेख किया जाएगा कि शेरों को यहां लाने के लिए कौन-कौन सी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है। बैठक में यह भी फैसला लिया जाएगा कि गुजरात से शेर लाने के लिए केन्द्र सरकार के पास जाया जाए या सुप्रीम कोर्ट।

प्रदेश 526 बाघों के लिए तैयार किए गए मैनेजमेंट प्लान भी बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा। इस दौरान बोर्ड के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों को भी प्लान में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा दूसरे राज्यों से बालाघाट के जंगलों और बांधवगढ़ नेशनल पार्क में आए 45 जंगली हाथियों से हो रही समस्यों के संबंध में भी वाइल्ड लाफ बोर्ड को अवगत कराया जाएगा।

जंगली हाथियों के संबंध में बोर्ड इस विषय पर भी सहमति ली जाएगी कि इन हाथियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाए या उनके मैनेजमेंट के लिए यहां कोई कार्ययोजना तैयार की जाए। बोर्ड अगर इन हाथियों को राज्य की सीमा से बाहर हॉकने की अनुमति नहीं देता है, तो उनके रहवास-विकास के लिए केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज लेने के प्रस्तावों पर बोर्ड से चर्चा करेगा। वहीं प्रदेश का नाम एलीफेंट प्रोजेक्ट में शामिल कराने पर भी विचार किया जाएगा।

 

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चंबल घडिय़ाल अभयारण्य से ग्वालियर को पानी दिए जाने पर भी चर्चा होना है। इसे लेकर पिछले साल मुरैना के डीएफओ ने वन मुख्यालय को पत्र लिखा था। जिसमें ग्वालियर के लिए चंबल से अधिक पानी लिए जाने से घडिय़ालों को खतरा होने का हवाला दिया गया था। बैठक में संरक्षित क्षेत्रों से पाइप लाइन, सड़क पुनर्निर्माण, संरक्षित क्षेत्रों के नजदीक खदानों की स्वीकृत सहित अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा होनी है।

चंबल घडिय़ाल अभयारण्य से ग्वालियर को पानी दिए जाने पर भी चर्चा होना है। इसे लेकर पिछले साल मुरैना के डीएफओ ने वन मुख्यालय को पत्र लिखा था। जिसमें ग्वालियर के लिए चंबल से अधिक पानी लिए जाने से घडिय़ालों को खतरा होने का हवाला दिया गया था। बैठक में संरक्षित क्षेत्रों से पाइप लाइन, सड़क पुनर्निर्माण, संरक्षित क्षेत्रों के नजदीक खदानों की स्वीकृत सहित अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा होनी है।

शेरों का नया आशियाना बनाने केंद्र सरकार का था फैसला

कुनो पालपुर को शेरों का नया आशियाना बनाने का फैसला केंद्र सरकार का था और सुप्रीम कोर्ट भी वर्ष 2013 में गुजरात सरकार को छह माह में शेर भेजने के निर्देश दे चुका है, लेकिन गुजरात सरकार शेरों को अपनी अस्मिता से जोड़कर चल रही है और उन्हें प्रदेश से बाहर भेजने को तैयार नहीं है।

 

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यही कारण है कि हर साल चार से पांच बैठक होने के बाद भी शेरों को गुजरात से मप्र शिफ्ट करने पर अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है। इसे लेकर वनमंत्री उमंग सिंघार ने भी पिछले दिनों तीखे तेवर दिखाए थे। उल्लेखनीय है कि यह परियोजना वर्ष 1994 में शुरू हुई थी और 2002 में पूरी भी हो गई। तभी से शेरों का इंतजार किया जा रहा है।

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