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भुवनेश्वर

बरगढ़ बना मथुरा नगरी, नायक के रूप में 10 दिनों तक चलेगा कंस का शासन

Odisha Culture: महाराजा कंस रोज हाथी की सवारी करके नगर भ्रमण करते हैं। यही नहीं (Bahuda Yatra 2019) परंपरा (Odisha History) के अनुसार (Indian Culture) जनकल्याण (Odisha History) के कार्यों (Mathura News) के लिए (Mathura King Kansa) वह आदेश (Krishna And Kansa Story) करते हैं जिनका पालन अक्षरशः किया जाता है…

भुवनेश्वरJan 01, 2020 / 08:44 pm

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बरगढ़ बना मथुरा नगरी, नायक के रूप में 10 दिनों तक चलेगा कंस का शासन

बरगढ़ बना मथुरा नगरी, नायक के रूप में 10 दिनों तक चलेगा कंस का शासन

महेश शर्मा
भुवनेश्वर/बरगढ़: ओडिशा के बरगढ़ जिले में बीते 71 साल से चल रही धनुयात्रा की मंगलवार को विधिवत शुरुआत हो चुकी है। जिला काल्पनिक रूप से मथुरा के रूप में परिवर्तित होकर अब 10 दिन तक भगवान कृष्ण के मामा कंस के अधीन हो चुका है। द्वापर युग की इस कथा को यूं तो हजारों वर्ष बीत चुके हैं पर मथुरा से 1200 किलोमीटर दूर इसका सजीव मंचन कई किलोमीटर क्षेत्र में फैले ओपेन स्टेज में हर साल किया जाता है।


लोगों को खुशियां देता है कंस का शासन!

 

बरगढ़ बना मथुरा नगरी, नायक के रूप में 10 दिनों तक चलेगा कंस का शासन

11 दिन तक चलने वाला यह नाट्यमंच लोगों के लिए खुशियां भर देता है। इस दौरान महाराजा कंस का शासन होता है वह जनकल्याण के आदेश देते हैं जिनका पालन किया जाता है। पूरे 11 दिन तक मथुरा नगरी में परिवर्तित हो चुके बरगढ़ का आम्रपाली गोपापुर कहलाता है जबकि जीरा नदी को यमुना नदी मान लिया जाता है। धनुयात्रा के पहले दिन कंस की ‘बहन’ देवकी का विवाद महाराज उग्रसेन बसुदेव नामक युवक से करा देते हैं। यह रस्म रामजी मंदिर में संपन्न कराई जाती है। इससे गुस्साया कंस अपने पिता महाराजा उग्रसेन को बंदी बना लेता है और देवकी और बसुदेव को कारागार में डाल देता है। खास बात यह है कि इस नाट्यकला की पटकथा अब तक नहीं लिखी गई है। कृष्ण ने कंस के अत्याचारों से परेशान होकर उनका और उनके शासन का अंत किया था। खास बात यह है कि यहां कंस की हुकूमत तो चलती है पर उसे खलनायक नहीं नायक के रूप में पेश किया जाता है। कंस की हुकूमत का अंत 10 जनवरी को हो जाएगा।

 

राज्य में जाते हैं महाराज कंस…

 

बरगढ़ बना मथुरा नगरी, नायक के रूप में 10 दिनों तक चलेगा कंस का शासन

महाराजा कंस रोज हाथी की सवारी करके नगर भ्रमण करते हैं। यही नहीं परंपरा के अनुसार जनकल्याण के कार्यों के लिए वह आदेश करते हैं जिनका पालन अक्षरशः किया जाता है। प्रशासन भी मानकर चलता है कि 11 दिन तक कंस का हुकूमत जनहित में चलेगी। उनके दरबार पर प्रशासनिक अधिकारी मंत्री तक आते हैं। मुख्यमंत्री बीजू पटनायक भी जा चुके हैं।


कंस के बुलावे पर आते हैं कलक्टर, मंत्रीगण…


राज्यसभा के सदस्य बीजेडी के लीडर प्रसन्न आचार्य ने धनुयात्रा की लोकप्रियता के कारण इसे राष्ट्रीय त्योहार का दर्जा देने की मांग की है। इसके पीछे यह भी एक कारण बताया जाता है कि कृष्ण और कंस कथा पर आधारित इस नाट्यमंच को विश्व का सबसे बड़ा ओपेन स्टेज का नाटक कहा जाता है। इस दौरान भगवान कृष्ण के कुछ विशेष अध्यायों का चित्रण किया जाता है। इस पूरे एपीसोड में कंस समाज सुधारक की भूमिका में होते हैं। बताते हैं कि कृष्ण लीला की इस कहानी में थोड़ा सा ट्विस्ट है। इसे रोचक बनाने के लिए थोड़ा सा मिर्च मसाला डाला जाता है। कंस के बुलावे पर कलक्टर, मंत्रीगण आते हैं। पिछली बार पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान आए थे उन्ह‍ॆं बायोफ्यूल की बाबत जागरूक करने का निर्देश कंस महाराज ने दिया था। बायोफ्यूल पर मंत्री ने कंस को तफसील से बताया था।

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