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बीकानेर की भुजिया के विदेशों में भी है दीवाने, हर माह होता है इतने अरब रुपए का कारोबार

Famous Bikaneri Bhujia: देश में सबसे बड़ा भुजिया और नमकीन का उत्पादक केंद्र बीकानेर है। क्षेत्र में रोजाना करीब पांच सौ टन नमकीन तैयार किया जाता है। इसमें ढाई से तीन सौ टन तो अकेला भुजिया ही है। साथ ही अन्य मिक्सर व नमकीन के साथ पापड़, बड़ी जैसे यहां बने खाद्य उत्पादों की देश-दुनिया में मांग है।

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बीकानेर. Famous Bikaneri Bhujia: देश में सबसे बड़ा भुजिया और नमकीन का उत्पादक केंद्र बीकानेर है। क्षेत्र में रोजाना करीब पांच सौ टन नमकीन तैयार किया जाता है। इसमें ढाई से तीन सौ टन तो अकेला भुजिया ही है। साथ ही अन्य मिक्सर व नमकीन के साथ पापड़, बड़ी जैसे यहां बने खाद्य उत्पादों की देश-दुनिया में मांग है। कचौरी व समोसे तक पैकिंग कर बाहर भेजे जा रहे हैं। करीब तीन सौ करोड़ रुपए का कारोबार हर महीने नमकीन का हो रहा है। एक दर्जन बड़ी इंडस्ट्री के साथ दर्जनों छोटे उत्पादक व भट्ठियां अलग से चल रही हैं। इसी तरह रसगुल्ले पर बीकानेर का नाम लिए बिना बात पूरी नहीं होती है।

ऐसे राज कर रही भुजिया
बीकानेर को देश-दुनिया में पहचान दी है यहां की बीकानेरी भुजिया ने। बीकानेरी भुजिया के अद् भुद स्वाद का राज छिपा है, यहां के वातावरण और मोठ में। यहां पानी में खारापन और मौसम की सूखी प्रकृति इसके स्वाद के मुफीद बैठती है। मोठ केवल बीकानेर में होता है। बीकानेर में ही मोठ से भुजिया बनाते हैं। अन्य जगह बेसन आदि से बनाते हैं। इसी वजह से यहां के भुजिया का स्वाद अलग ही लज्जत देता है।

मसालों से बना स्वाद
नमकीन खाने का शौक राजस्थान में हमेशा से रहा है। लिहाजा, नमकीन को बनाते-बनाते बीकानेर के कुछ कारीगरों ने बेसन के साथ कई तरह के मसाले मिलाकर भुजिया बनाई। प्रयोग के तौर पर यह भुजिया सबसे पहले परकोटे की दुकानों पर तैयार की गई। लोगों की जुबां पर स्वाद चढ़ा, तो भुजिया में पड़ने वाले मसालों की मात्रा तय हुई। इस तरह भुजिया का बीकानेरी स्वाद दुनिया की जिह्वा पर चढ़ गया।

125 साल का रसगुल्ला
प. बंगाल की मिठाई रसगुल्ला करीब सवा सौ साल पहले बीकानेर आई। भरपूर दूध होने के चलते छेने की मिठाई बनाने वाले कुछ हलवाइयों ने यहां रसगुल्ला तैयार किया। लोगों ने पसंद किया, तो खाद्य प्रसंस्करण 1911 में छोटू-मोटू जोशी ने शुरू किया। अब तो दर्जनों इकाइयां रसगुल्ला व खुरमानी की हैं।
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पंधारी-मोती पाक का स्थानीय स्वाद
परकोटा में कुछ दुकानें तो 200 साल से भी अधिक पुरानी हैं। कई पीढ़ियां इसी काम से जुडी हुई हैं। जो खुद ही मिठाइयां बनाते हैं और बेचते हैं। मोहता चौक की रबड़ी का स्वाद शहरवासी सालभर चखते रहते हैं। कोटगेट से बड़ा बाजार, चाय पट्टी, जस्सूसर गेट, पुराने शहर में सब्जी बाजार के पास स्थित दुकानें देशी घी की मोतीपाक, पंधारी के लड्डू, दिलखुशाल के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रवासी भी करते हैं पसंद
देशी घी से बनी मिठाइयों की मांग देश-विदेश में भी रहती है। यह 10 से 15 दिन तक खराब नहीं होती है। शहर से बाहर रहने वाले लोग देशी घी से बनी मिठाइयों को खासतौर से मंगवाते हैं। खासकर कलकत्ता, मुम्बई, बेंगलूरु, आसाम, चेन्नई सहित कई बड़े शहरों में प्रवासी मिठाइयां मंगवाते हैं। इसके अलावा विदेशों से भी इन मिठाइयों की अच्छी मांग होती है।
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जानिए बीकानेर का नमकीन और मीठा उद्योग
भुजिया यहां से 17 देशों में निर्यात किया जाता है।
नमकीन का बड़ा निर्यातक, अकेला 100 करोड़ का माल विदेश भेजता है।
भुजिया का सालाना कारोबार 4200 करोड़ रुपए से अधिक है।
पापड़ और बड़ी का कारोबार करीब 1000 करोड़ रुपए का है।
रसगुल्ला व खुरमानी का कारोबार 1000 करोड़ रुपएका है।
10 बड़ी इंडस्ट्री चल रही है भुजिया-नमकीन बनाने की।
125 मध्यम दर्जे के भुजिया, पापड़ व रसगुल्ला के उत्पादक।
1000 से अधिक छोटी इंडस्ट्री नमकीन व मीठे की बीकानेर में।