
बाजार से गायब होती जा रही सिक्कों की खनखनाहट
संजय पारीक
श्रीडूंगरगढ़. एक समय था जब जेब में सिक्कों की खनखनाहट अमीरी का अहसास करवाती थी, लेकिन अब बाजारों में सिक्कों की खनखनाहट गायब होती नजर आ रही है। सिक्कों की जगह अब कड़कड़ाते नोटों ने ले ली है। रियासत काल से ही सोने, चांदी, तांबे सहित विभिन्न धातुओं से बने सिक्कों का प्रचलन रहा है, लेकिन अब सिक्कों का महत्व घटता जा रहा है। हालात यह है कि ना तो ग्राहक सिक्के लेना चाहता है और ना ही दुकानदार। अब तो मेरे नाम का सिक्का चलेगा वाली कहावत भी बीते दिनों की बात हो चुकी है। क्योंकि अब तो नोट का चलन बढ़ गया है।
सिक्के लेने में आनाकानी
अब हालात ये हैं कि 1,2, 5 व 10 रुपए के सिक्के तो मानो बाजार से गायब ही हो गए हैं। साथ ही 10 रुपए के सिक्के को तो दुकानदार लेने से मना कर रहे हैं। यदि गलती से किसी के पास 10 रुपए का सिक्का आ गया तो उसे बैंक से ही बदलवाना पड़ता है। इसको बाजार में चलाना तो नामुमकिन सा लगता है। वहीं 1,2 व 5 रुपए के सिक्के भी गायब से ही है। दुकानदार द्वारा इन सिक्कों के स्थान पर ग्राहक को टॉफी या अन्य सामान देकर हिसाब बराबर कर दिया जाता है।
अधिक दामों में बिक रही गड्डियां
शादियों के सीजन में 10, 20 व 50 रुपए के नोटों की गड्डियां भी अधिक दामों में बिकती नजर आएंगी। राजस्थान पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि अधिकतर 10 व 20 रुपए के नोटों की गड्डियों की कालाबाजारी होती है। अधिक दामों में गड्डियां बेचने वाले लोग अपने जुगाड़ से गड्डियां हासिल कर लेते हैं और फिर महंगे दामों में ग्राहकों को बेचते है। जानकारी के अनुसार 10 रुपए की नोटों की गड्डी 13 सौ से 15 सौ रुपए व 20 रुपए की गड्डी 22 सौ से 25 सौ रुपए में ग्राहकों को बेची जाती है। जबकि नियमानुसार नोटों को अधिक दामों में नहीं बेचा जा सकता।
सिक्कों के लिए पब्लिक मेला
इसके उलट बैंकों की ओर से पब्लिक मेले लगाकर सिक्कों का वितरण किया जा रहा है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक राकेश ओला ने बताया कि बैंक द्वारा गत एक साल में पब्लिक मेलों के माध्यम से 5 रुपए के करीब 8 लाख सिक्के और 1 व 2 रुपए के करीब ढाई लाख सिक्के वितरित किए जा चुके है। वहीं बैंक में कोईन वेंङ्क्षडग मशीन भी लगी है, लेकिन 3 साल से मशीन का रिजल्ट भी जीरो है और मशीन का उपयोग नहीं हो रहा है।
नहीं हुई कोई कार्रवाई
नियम और आरबीआई की गाइडलाइन के विरुद्ध होने के बावजूद ऐसे मामलों में सम्भवत: कोई कार्रवाई नही हुई है। जबकि शादियों की सीजन या किसी तीज त्योहार आदि मांगलिक कार्यक्रमों पर नोटों की गड्डियों का यह खेल जिम्मेदारों की नाक के नीचे धड़ल्ले से चलता है।
क्या कहता है नियम
यदि कोई व्यक्ति चलन वाले किसी भी सिक्के को लेने से मना करता है, तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है। उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी। मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है। साथ ही नोटों की बिक्री भी अधिक दामों में नही हो सकती। यह भी अपराध की श्रेणी में आता है।
इनका कहना है
कोई भी व्यक्ति 1, 2, 5 व 10 रुपए के सिक्कों को लेने से मना नही कर सकता है। ऐसा होता है तो बैंङ्क्षकग लोकपाल को शिकायत की जा सकती है। ये सिक्के चलन में हैं। बन्द नहीं हुए हैं। साथ ही भारतीय मुद्रा को अधिक दामों में भी नही बेचा जा सकता है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। शादियों के सीजन में लोगों को गड्डियों की आवश्यकता होती है, तो बैंक द्वारा भी आवश्यकतानुसार ग्राहकों को गड्डियां उपलब्ध करवाई जाती हंै।
राकेश ओला, शाखा प्रबंधक, एसबीआई।
Published on:
19 May 2023 01:29 am
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