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बीकानेर

पेयजल समस्या: कर्मचारी नहीं मिला तो लगा दिया ताला

यहां तो कभी भी कोई अधिकारी नही मिलता है। अपनी समस्या किसके सामने रखें। मामला सोमवार का है।

बीकानेरSep 19, 2017 / 12:14 pm

dinesh kumar swami

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प्रदर्शन

बज्जू. यहां तो कभी भी कोई अधिकारी नही मिलता है। अपनी समस्या किसके सामने रखें। मामला सोमवार का है। जब क्षेत्र के संतोषनगर के बड़ी संख्या में ग्रामीण समस्याओं को लेकर बज्जू के जलदाय विभाग पर पहुंचे। जहां पर एक भी अधिकारी व कर्मचारी नही मिलने पर ग्रामीणों ने सरपंच प्रतिनिधि सहित आईदानसिंह, दूलेसिंह भाटी, जबरसिंह सहित ग्रामीणों के साथ मिलकर सहायक अभियंता कार्यालय पर तालाबंदी कर धरना दिया
लेकिन कई घंटों के इंतजार के बाद भी एक भी कर्मचारी व अधिकारी मौके पर नही पहुंचा तो परेशान होकर ग्रामीण ने राजस्व उपतहसील पहुंचकर विभाग के अधिकारियों की शिकायत रखी और कहा कि दोषी अधिकारियों की खिलाफ कार्रवाई नही होने व समस्या का समाधान जल्द नही होने पर जल्द ही धरना प्रदर्शन करते हुए अनशन किया जाएगा।
ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र के जुगतसिंहपुरा में बने जीएलआर तथा संतोषनगर में बनी डिग्गी की पाइप लाइन की सफाई की शिकायत को लेकर ग्रामीणों द्वारा लगतार अवगत करवाया जा रहा था तो जीएलआर तो करीब ३ से ४ वर्ष पहले बन गया था फिर भी इसे शुरू नही गया गया है। राज्य सरकार द्वारा जारी ऑनलाइन शिकायत के लिए पोर्टल की शिकायत भी जलदाय विभाग अधिकारियों ने मौका देखे बिना ही इसे कागजों में सुधार दिया है। इससे आमजन में आक्रोश है।
जमीन मुक्त कराएं
श्रीडूंगरगढ़. यहां मनोरंजन क्लब के नाम से आवंटित की गई जमीन पर कब्जा हटाने की मांग आडसर बास के महेश कुमार व्यास ने जिला प्रशासन से की है। व्यास ने जिला कलक्टर को भेजे पत्र में बताया कि वर्ष1961 को एक दुकान मनोरंजन क्लब के नाम से नगर पालिका द्वारा खरीद की गई थी। उस पर अब कब्जा कर लिया गया है। इस जमीन को मुक्त करवाई जाए ताकि लोग लाभान्वित हो सके।
कार्यकर्ताओं को मिले न्यूनतम मानदेय
श्रीडूंगरगढ़. अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं ने सोमवार को विभिन्न मांगों को लेकर उपखण्ड अधिकारी को ज्ञापन दिया। मायादेवी, सम्पत, भंवरीदेवी, रेखा व मंजू ने ज्ञापन देकर बताया है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन कार्यरत महिलाओं का वर्तमान ही नहीं अपितु भविष्य भी सुरक्षित नहीं है।
आंगनबाड़ी कार्मिकों को कम से कम न्यूनतम वेतन मानदेय के रूप में दिया जाए। कार्मिकों के मानदेय को महंगाई मूल्य सूचकांक से जोड़ते हुए राज्य कर्मचारियों की भांति प्रति छह माह महंगाई वेतन वृद्धि की जाए। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सेवानिवृत हो तो एक लाख व सहायिका, आशा सहयोगिनी को पचास हजार रुपए एक मुश्त राशि दी जाए। आंगनबाड़ी कार्मिकों को भी स्कूलों की तरह छुट्टियों का लाभ दिया जाए।

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