Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bilaspur High Court: लेक्चरर को BEO बनाने पर HC नाराज, बोले- इस तरह के मामले आते हैं, तो उस आदेश को तुरंत रद्द कर दें

High Court: रायगढ़ जिले में लेक्चरर को BEO बनाने के आदेश पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने BEO को हटाने के निर्देश दिए...

2 min read
Google source verification
पत्रिका की 3 खबरों पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान, कहा- रिपोर्ट और तस्वीरें अधिकारियों के सुस्त और अकर्मण्य रवैये का प्रमाण

Bilaspur High Court: रायगढ़ जिले में लेक्चरर को बीईओ बनाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है। दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बीईओ को हटाने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग के निर्णय पर कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि तत्काल उस आदेश को रद्द किया जाए जिसमें लेक्चरर को बीईओ बनाया गया है। साथ ही अतिरिक्त ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (एबीईओ) को बीईओ का प्रभार सौंपने के निर्देश दिए।

मामला सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बरमकेला का है। वर्ष 2022 में वहां नरेंद्र जांगड़े (लेक्चरर) को बीईओ बनाने का आदेश जारी किया गया था। इस बीच नरेंद्र जांगड़े पर कई तरह के आरोप लगाए गए। इसपर कलेक्टर ने जांगड़े को हटाकर लेक्चरर नरेश चौहान को बीईओ बना दिया। हालांकि, आपत्ति जताने के बाद कुछ समय बाद नरेंद्र जांगड़े को फिर से बीईओ बना दिया गया। इस मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान वर्तमान बीईओ की जानकारी ली और निर्देशित किया कि न तो नरेश चौहान और न ही नरेंद्र जांगड़े बीईओ रहेंगे। उनके स्थान पर एबीईओ को बीईओ का चार्ज सौंपा जाए।

यह भी पढ़े: Bilaspur High Court: उच्च न्यायिक सेवा के कई अधिकारियों का तबादला, HC के रजिस्ट्रार जनरल ने जारी किया आदेश, देखें List

आदेश रद्द किया जाएगा

कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर के पद पर कभी भी व्याख्याता को नहीं नियुक्त किया जा सकता। अगर इस तरह का कोई मामला कोर्ट में आता है, तो तुरंत उस आदेश को रद्द किया जाएगा।

सिम्स: व्यवस्था सुधारने नई टीम क्या कर रही, मांगा शपथपत्र

सिम्स की व्यवस्था को लेकर स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को हाईकोर्ट ने डीन को शपथपत्र पर यह बताने का निर्देश दिया है कि उनकी नई टीम अस्पताल की व्यवस्था सुधारने क्या काम कर रही है। अगली सुनवाई जनवरी में निर्धारित की गई है।

आज हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस ने राज्य शासन से कहा कि आप यह देखें कि जो चिकित्सा उपलब्ध होना चाहिए वह है या नहीं। कोई भी मरीज अगर अस्पताल गया और उसका टेस्ट नहीं हुआ तो वह निजी अस्पताल जाएगा, इसका असर उसकी जेब पर आएगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर की परेशानी है, तो इसको ठीक करना होगा। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि सोनोग्राफी और सीटी स्कैन को लेकर समाचार प्रसार माध्यमों में आया था, उसमें अभी कार्य प्रगति पर है। रीजेन्ट्स को लेकर यशवंत सिंह ने स्वीकार किया कि कुछ कमी जरूर हैं मगर इतनी अधिक भी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगर किन्हीं दो लोगों को भी परेशानी है तो नहीं होनी चाहिए। हमारा फोकस इसी पर है।

उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान सीजीएमएससी के वकील ने कहा था कि सिम्स मेडिकल कॉलेज के डीन के पास 95 लाख का फंड रखा हुआ है, दवा खरीदी और अन्य जरूरतों के लिए इस राशि का इस्तेमाल किया जा सकता है। कलेक्टर ने अपनी ओर से एक शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया था कि, शासन की ओर से सिम्स की व्यवस्था को सुधारने के सारे उपाय किए जा रहे हैं।