जांजगीर चांपा जिले के बारद्वार निवासी अपीलार्थी उमेश शर्मा 28 नवम्बर 2011 को बस से यात्रा कर रहे थे। तभी यात्रा के दौरान दुर्घटना में शर्मा को गंभीर चोट आई। उनका इलाज बिलासपुर अपोलो तथा बाद में सीएमसी वेल्लोर में हुआ। दुर्घटना से हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए उन्होंने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण सक्ती में वाद प्रस्तुत किया।
चिकित्सकीय साक्ष्य के माध्यम से बताया गया कि दुर्घटना में वे 50 प्रतिशत स्थाई रूप से विकलांग हो चुके हैं। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण सक्ती ने उनको 50 प्रतिशत शारीरिक रूप से अक्षम मानते हुए आर्थिक क्षति को भी 50 प्रतिशत माना। इसके विरुद्ध वादी उमेश शर्मा ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह के माध्याम से हाईकोर्ट में अपील प्रस्तुत की।
अपील में बताया कि वादी को शारीरिक क्षति तो 50 प्रतिशत हुई है किंतु उनकी आय अर्जित करने की क्षमता में शत-प्रतिशत कमी आ गई है। दुर्घटना दिनांक से वे अपना व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देकर बताया गया कि दुर्घटना दावा प्रकरण में मुआवजा की गणना आर्थिक क्षमता को हुई हानि के आधार पर होनी चाहिए न की शारीरिक क्षति के आधार पर। अपील स्वीकार कर जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच ने शत प्रतिशत आर्थिक क्षति मानते हुए मुआवजे की पुनर्गणना करने का आदेश दिया।